For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सात साल हो गये अत्याचार सहते सहते सोचा था कभी तो मनीष समझेगा उसे कभी तो उसके दिल मे उसके लिए प्यार जागेगा और कभी तो वो राधा को अपनी इस्तमाल की चीज़ के बजाय अपनी जीवन संगनी मानेगा!
पर नहीं अब भी वो वैसा ही था !!!! रोज़ दफ्तर से आकर वहाँ का गुस्सा राधा पर उतारना !आए दिन हर बात पे अपमानित करना गंदी गालियाँ देना !
पर आज तो हद ही हो गयी जब मनीष ने उसके चरित्र पर लांछन लगाया !
तडाक ****** एक ज़ोर का चाटा जडते हुए राधा ने उसका घर छोड़ने का एलान कर दिया।
राधा के जाने पर मनीष को एहसास हुआ आज उसने एक औरत के मान को ललकारा था ।
जिसका अपमान वो नहीं सह सकती।।।।।

मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priya mishra on May 8, 2015 at 12:37pm
धन्यवाद आदरणीय डाँ गोपाल नारायन जी
Comment by Priya mishra on May 8, 2015 at 12:35pm
धन्यवाद दीदी ।।।। नायिका ने सात साल अपने मान के लिए सहे पर जब उसके पति ने उस पर उंगली उठाई तो उसे अपने मान के लिए ही यह कदम उठाया ।।।Seema singh ji
Comment by Priya mishra on May 8, 2015 at 12:32pm
आपका बहुत आभार।।।।
पहली कोशिश थी आगे अपनी गलतियो को सुधारने की पूरी कोशिश करुगी ।।।धन्यवाद Saurabh pandey ji
Comment by Priya mishra on May 8, 2015 at 8:16am
धन्यवाद आदरणीयDr.vijai shanker ji
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 7, 2015 at 8:57pm

सात साल से पहले चरित्र पर उँगली नहीं उठी थी वरना यह कदम पहले भी  उठ सकता था  i अन्तिम् पंक्तियां  और मुखर हो सकती थी . सार्थक प्रयास.

Comment by Seema Singh on May 7, 2015 at 5:10pm
प्रिया जी मुझे आपका विषय पसंद आया मगर जो कदम नायिका राधा ने सात वर्ष प्रतीक्षा करने के बाद उठाया वो पहले ही क्यों नहीं ...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 7, 2015 at 4:36pm

आदरणीया प्रिया मिश्राजी,

भारतीय पारम्परिक स्त्री का सिन्दूर ही उसके सतीत्व तथा उसके अस्तित्व की अक्षुण्णता का परिचायक है. इससे आँखें फेर लेने वाले की प्रवृति या तो राक्षसी होती है, या फिर, उसे स्त्री के सतीत्व की महत्ता का ज्ञान नहीं होता. दोनों दशाओं में मिल रही किसी ललकार को सीख मिलनी ही चाहिये. आपकी इस लघुकथा के भाव बहुत ही गहन और सटीक हैं.

लेकिन प्रस्तुतीकरण बहुत सुधार मांगती है. आपने कायदे से किसी डिलिमिनेटर, यानि फुलस्टॉप या कॉमा, का प्रयोग नहीं किया है. इस ओर भी ध्यान रखा करें.

शुभेच्छाएँ

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 6, 2015 at 10:27pm
प्रयास पर बधाई, और प्रयास करें , शुभकामनाएं। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service