For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सत्य.....

पंच महाभूतों की आस्था
विज्ञान भी मानता- शोध में,
वेद-पुराणों, महाकाव्यों के आधार बिन्दु
जीवन के सेतु-बंध,
उपकृत करते-
क्षित, जल, पावक, गगन व समीर
एक दूसरे के पूरक
महाकाश से घटाकाश तक सर्वत्र व्यापी
तल-वितल, अतल भी
धारण करते पिण्ड स्वरूप.....अखण्ड ब्रह्म,
कण-कण रोमांच से भरपूर
क्षर कर भी सृजन के चंद्र-सूर्य
चक्राकार आवृत्ति के द्विगुण- सघन तम व तेज
विस्तारित करते रहस्य
आकार लेते, आभाष - अनुभव
दृश्य-अदृश्य कदाचित सम्मिश्रण ही
जीवन प्रगतिवान,
बीज रूप, अव्यक्त एवं असीम
आत्मा का आभार,
देह, अ-िस्थत्व का बोध कराती
अहं में प्रकट होती-इन्दियां,
आँख, कान, नाक, मुॅह, और त्वचा
निरन्तर उत्पादन करते
दृश्य, श्रवण, गंध, स्वाद, और स्पर्श
अनुभूतियां संगठित करती
एक संयोजक - मन, संशय का सम्राट
नियु-िक्त करता अन्यान्य रसेन्दियां
घेर लेती दुर्गम दुर्ग
प्रहार करते षट विकार
क्षत-विक्षत होते द्वार, प्राचीर सम्पूर्ण दुर्ग भी
दुर्ग का सेनापति- आत्मा,
नागों का मर्दन कर रास रचता
आनन्दित होता कण-कण
रेत, पल-पल संलग्न है

सृजन में
आत्मा निर्लिप्त......अमरता में संलिप्त
स्थापित करना चाहता---- सत्य !

के.पी.सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 8, 2015 at 9:00pm

आ0 जान भाईजी,  आपके अभिमत से बिलकुल सहमत हूँ.  लेकिन पति के आगे-पीछे कुछ लगाना पडता है...जैसे कि जगतपति, उमापति, लक्ष्मीपति अथवा पतिव्रता, पतिराम आदि. इसीलिये मैंने सेनापति शब्द का उपयोग किया. रण भूमि मे सेनापति के आदेशो का सभी को अक्ष्ररश: पालन करना होता है, सादर

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 7, 2015 at 8:48pm

आ० केवल भाई आपके उत्तर पे मै बस इतना कहना चाहूँगा के आपने पति शब्द का बहुत सीमित अर्थ ले लिया,भगवान विष्णु को जगतपति भी कहते है,पति शब्द का अर्थ पति-पत्नी तक तो सीमित नही,पति का मूल अर्थ मालिक या सर्वेसर्वा  है!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 7, 2015 at 7:54pm

आ0 भंडारी भाई जी,  मेरे अनुभव व विचार आपको संतुष्ट कर सके, मैं धन्य हुआ. आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार.  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 6, 2015 at 8:55pm

क्या बात है ! आदरणीय केवल भाई , सर्व प्रथनम आपके शब्दों के चुनाव के लिये हार्दिक बधाइयाँ ॥ शरीर और पिंड मे ब्रम्हाण्ड दोनो की सच्चाई बहुत सुन्दर बयान किया है आपने । 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2015 at 8:20pm

आ0  जान भाई जी,  भाई जी ! आत्मा को हम "पति" नही कह  सकते. क्योकि पति तो अपनी पत्नी को ही नही संभाल सकता और आत्मा  सम्पूर्ण शरीर रुपी ब्रह्माण्ड अर्थात दुर्ग को संचालित व व्यवस्थित करता है. जिस प्रकार एक सेनापति सम्पूर्ण  सेना का कुशल संचालन करता है.   आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2015 at 8:07pm

आ0  वामनकर भाई जी,  मेरे अनुभव व विचार आपको संतुष्ट कर सके, मैं धन्य हुआ. आपका हार्दिक आभार.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2015 at 8:06pm

आ0 जितेंद्र भाई जी,  मेरे अनुभव व विचार आपको संतुष्ट कर सके, मैं धन्य हुआ. आपका हार्दिक आभार.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2015 at 8:02pm

आ0 कबीर भाई जी,  मैंने बडी सरल भाषा में ही लिखा है.  हाँ, यह अवश्य है कि कुछ शब्द-जैसे....

1--"षट  विकार".. अर्थात  काम, क्रोध, मोह, लोभ,  मद, व मत्सर  येह छ: प्रकार के  विकार कहे गये हैं.  

2--"नागों का मर्दन कर रास रचता" अर्थात..  भगवान विष्णू जी  अर्थात आत्मा...ही!

3--"अन्यान्य रसेन्दियां"  ग्यारह इंद्रियो  मे से भी एक-एक हजार इंद्रिया निकलती हैं.  रसेंद्रियो का तात्पर्य है हमारी रक्त- सम्वाहिकाए,  जो हमे अर्थात शरीर को  विभिन्न रसास्वादनो हेतु निरंतर प्रेरित करती रहती हैं. 

इन शब्दो के अतिरिक्त मेरी जानकारी मे ऐसे कोई शब्द नही हैं  जिसे आप न समझ सके.

आपका  हार्दिक आभार.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 6, 2015 at 7:30pm

आ0 विजय भाई जी,  मेरे अनुभव व विचार आपको संतुष्ट कर सके, मैं धन्य हुआ. आपका अन्त:स्थल आभार.  सादर

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 6, 2015 at 9:14am

मंत्रमुग्ध कर दिया आ० भाई केवल प्रसाद जी,देवनागरी के जो क्षटा बिखेरी है शब्दों में सीना फूल गया है,अपनी भाषा-लिपि और हिन्दू-हिन्दीभाषी होने पर एक बार फिर से!आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार...एक बात कहना चाहूँगा के-- दुर्ग का सेनापति- आत्मा, में आत्मा के लिए सेनापति शब्द छोटा लग रहा है,>>दुर्ग का पति- आत्मा, करना कैसा रहेगा??

एक बार फिर से इस रचना पर हृदयतल से बधाई व् शुभकामनाए!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
13 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
22 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service