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मैं रहूँ न रहूं ,यादें मेरी रह जाएंगी..

शायद किसी की यादों में ,कभी दोहराई जाएंगी..
 जब कभी भी मौसम धुआं धुआं होगा..
मेरी बातें ,मेरे गीतों में गाई जाएंगी..
ज़िन्दगी चार पलों  की हैं ,मगर कुछ पल तो हैं !
 आज का दिन गुज़र रहा..बचे कुछ कल तो हैं..
क्यों न कल में नयी रंगत मैं सजा के जाऊं  ..
कुछ खुशियों को दिलों में सदा के लिए बसा के जाऊं..
वो ही खुशियाँ किसीका शायद संबल बनेंगी..
हारते दिल का कभी शायद बल बनेंगी ..
बात गुज़री हुई कल मैं भले ही बन जाउंगी ..
याद रखना ..मैं कल भी याद आउंगी ..याद आउंगी..

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Comment

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Comment by Lata R.Ojha on March 15, 2011 at 7:05pm
Dhanyavaad Vandana ji :)
Comment by Lata R.Ojha on March 15, 2011 at 1:21am
Shukria Ganesh bhai :)

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 14, 2011 at 7:57pm
वो ही खुशियाँ किसीका शायद संबल बनेंगी..
हारते दिल का कभी शायद बल बनेंगी ..

बहुत खूब लता जी , अच्छी कविता, सकरात्मक दृष्टिकोण, साधुवाद |

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