For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यासा

उसने सागर से कहा “पानी दो बहुत प्यासा हूँ”

सागर बोला -“रोज पीते हो खाली हो गया हूँ”|

नदिया से कहा “पानी दो बहुत प्यासा हूँ” नदिया ने कहा “आगे जा रही हूँ पसीना बहाने वाले प्यासों के पास;

 पीछे लौटना मेरी नियति नहीं है”|

 कुए से कहा “पानी दो प्यासा हूँ गला सूख रहा है मर जाऊँगा ”

कुँए ने कहा “मैं स्वाभिमानी हूँ  प्यासे के पास नहीं जाता प्यासा मेरे पास आता है”|

पास बहते नाले से कहा "तू ही पिला दे यार" उसने कहा “पहले ही तू मुझे  बहुत गन्दा कर चुका है”|

"कोई मत पिलाओ हरामखोरों पर वो तो पिलाएगी ही रात की मार भूली थोड़े ही होगी ” ...कुछ होश आते ही अधखुली आँखों से इधर-उधर देखता है|

कौने में चूल्हा ठण्ड से कंपकंपा रहा है |बोला  “नहीं पिलाएगी चली गई है, तेरी प्यास से बड़ी तेरे बच्चों की प्यास थी”!!!

नई रानी लालपरी नाच रही है अलमारी में हाथ के इशारे से बुला रही है “अब मैं ही बची हूँ.... चला आ तेरा गम भुला दूँ ”... और वो लडखडाते कदमों से उसकी और चल देता है...

चुल्लूभर पानी लिए पास रखी छोटी कटोरी ठहाका मारकर हँसती है ..... "जा  जा फिर भी अंत में तू मेरे पास ही आएगा" |   

.

(मौखिक एवं अप्रकाशित )   

Views: 927

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2014 at 6:04pm

प्रिय मीना पाठक जी ,आपका प्रभूत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2014 at 6:03pm

आ० अखिलेश जी ,आपको ये लघु कथा पसंद आई इसका तथ्य रुचा ,मेरा लेखन सार्थक हुआ दिल से आभार आपका सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on December 20, 2014 at 5:08pm

बहुत  ही सुन्दर प्रस्तुति  //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Meena Pathak on December 20, 2014 at 4:13pm

सार्थक प्रस्तुति ..बहुत बहुत बधाई 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 20, 2014 at 12:09pm

आदरणीया राजेशजी

होश वालों ,  पीने वालों ,बेअकल , कम अकल , ज़्यादा अकल  और स्कूल के बच्चों सभी के लिए शिक्षाप्रद है आपकी यह रचना। 

बच्चों को तो अवश्य बताना चाहिए पानी का महत्व। जल ही जीवन है , जल रहेगा तो कल रहेगा , जैसे अभियान के लिए यह एक विचारणीय सार्थक रचना है । 

हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service