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आप तो आप थे .........


है दिए जो जख्म आपने दिल को,

भर दे उसे कोई किसी में है ओ प्रीत कहाँ,

बहते मेरे लावारिस अश्को को कोई थामले,

 एक तेरे सिवा दूसरा ओ मन्मित कहाँ, 

आप ने  किये जो घोर अँधेरा मेरे जीवन में,

आक़े अब कोई रोशन करे  है यैसी तक़दीर कहाँ,

जब ह्रदय की आशाएं बंद हो चली हो,

फिर इस बेचैन दिल को मिले ओ करार कहाँ,

जब तुम कर चले बेदरंग इस जीवन को,

फिर इस जीवन में किसी और प्रीत रंग की है आश कहाँ,

जिनके प्रेम में था सारी दुनिया का नूर समाया,

प्यार का अब कोई नूर मिले येसा ओ मनमीत  कहाँ,

तेरे गमे इश्क-में, है अश्क इतने पिए

किसी और गमे इश्क की अब प्यास कहाँ,

तेरे प्रीत पथ पर चले इतना  लम्बा  सफ़र, 

अब किसी और प्रीत पथ पर चलने की अब चाहत कहाँ,

तू मुझमे समाई मै तुझमे समाया फिर भी ना समझ सकी,

इस थोड़े पल में कोई मुझको समझे है यैसी अब ओ रीत कहाँ,

मिल ही गयी आखिर  आपकी चाहत की  ओ मंजिल,

देखना है मुझको मेरी आखिरी मंजिल है कहाँ,

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Comment

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Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on February 27, 2011 at 8:43pm
गनेश जी ,
:आप को मेरा प्रेम भरा नमस्कार,...........

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 26, 2011 at 9:48pm

तू मुझमे समाई मै तुझमे समाया फिर भी ना समझ सकी,

इस थोड़े पल में कोई मुझको समझे है यैसी अब ओ रीत कहाँ,

 

खुबसूरत ख्याल की रचना , अच्छा लिख रहे है , लिखते रहे ,

कृपया ध्यान दे...

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