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बुरी बात कभी मुँह से मत निकालो .
बहुत दबे पाँव चलना होता है
मुसीबतें रास्ता रोके खड़ी होती हैं ,
बहुत ही गहन भाव लिये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
हमेशा नए ख्वाब देखो
नक्षत्रों पर भरोसा रखो
कभी भी ' तथास्तु ' कह सकते हैं ...
waah waah .... Rashmi ji... bahut hi behatarin kavita ...bahut bahut badhai aapko...
रश्मि जी बेहद उम्द्दा भाव को समेटे , थोड़े में बहुत कुछ कह सकने में सक्षम है यह कविता,
सारथी का चयन भी नही होता आसान
दुर्योधन पूरी सोच पर कब्ज़ा जमाये खड़ा होता है ! वाह वाह क्या बात है , बड़ी दूर तक की सोच है , आपकी लेखनी को नमन |
बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन अभिव्यक्ति पर |
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