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लाभ क्या मिला ?





लाभ क्या मिला ?
पिता जी की डायरी से----
चार दिन के लिए शरीर मिली साथ कोई नाम भी मिल गया . किसी देश के राजा हो गए या नेता मंत्री बन गए . विदेशों में पैसा जमा कर लिए.फिर शरीर छीन ली गयी .नाम छीन लिया गया . फिर उसे क्या मिला ? यदि दुबारा जन्म मिला तो मजदूर के घर मिला , फिर क्या लाभ हुआ ? हजारों लाखों लोगो से एक आदमी घूस ले लेता है ,पुनः उसे वापस ही करना पड़ता है .जितना कष्ट दूसरों को दिया पुनः वह लेना ही है.जो लाभ लिया उतनी हानि उठानी  ही है. फिर लाभ क्या हुआ ? किसी को जान से मर डाला फिर उसी के  द्वारा  अपना भी मरण निश्चित है. फिर लाभ क्या हुआ ? किसी को आपने दान दिया वह दिया गया दान किसी न किसी रूप में वापस होता ही है , हानि क्या हुई ? आप ने प्रेम और सच्चाई का व्यव्हार किया ,किसी का आदर सत्कार किया वह आपको वापस मिलनी ही है तो हानि क्या हुई ?आपका हमेशा नुकसान हुआ वह पुनः लाभ के रूप में आ[को मिलाना ही है तो हानि क्या हुई ?
इस प्रकार किसी को भी कोई लाभ हानि नहीं होती. यदि आपका कोई नुकसान करे तो करने दीजिये ,यदि हो सके तो उसकी भलाई ही करें .भलाई का फल आपको ही तथा नुकसान का फल उसे ही मिलना है ,तो नुकसान करने वाले को क्यों रोका जाय ? यदि आपकी कोई बदनामी करता है तो उसे करने दीजिये ,समझिये आप का ही लाभ हो रहा है.निंदक को और मौक़ा दीजिये . वह आपकी निंदा करे बुराई करे.उसे सहन कीजिये ,कुछ भी जबाब मत दीजिये ,उससे आप के प्रायश्चित्त कटते हैं. आप भार मुक्त होते हैं.   सिर का बोझ हट जाता है ,दिल दिमाग हल्का सा हो जाता है.जहाँ पर परमात्मा के अनुकूल स्थान बन जाता है . तुलसी  की निंदा ने ही उन्हें तुलसी दास बना दिया. अपनी बडाई से डरिये निंदा से नहीं . राम कृष्ण अपनी बडाई नीचे जाते अगर वे अपनी बडाई से प्रभावित या बिचलित होते . अन्य लोग बिचलित होते है और नीचे जाते हैं.शान ओ शौकत की जिंदगी जीने वाले नीचे की तरफ जाते है .अवश्य उनका दुर्भाग्य जग जाता है, जन्म उनका किसी निर्धन या नीच के घर होता है. महान लोगों  या महात्माओं का जन्म निर्धन के घर भले ही हो उनमें महान गुण हमेसा विद्यमान होते हैं.बहूत लोग तो चाह भी परमात्मा से निर्धन परिवार की मांग करते हैं.
इस प्रकार हानि लाभ कभी नहीं होता . चार दिन लाभ में हैं तो अवश्य चार दिन हानि में रहना है .इस प्रकार अभिमान सर्वथा व्यर्थ होता है . सज्जनता सर्वथा श्रेष्ठ होती है.सत्य न छोड़ा जाय बड़ा अच्छा रहता है लेकिन यह भी बदा भाग्य की ही बात होती है.
                                                                                                                    ---अवधेश कुमार तिवारी 



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