For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

         
वो नदी जो गिरि

कन्दराओं से निकल

पत्थरों के बीच से

बनाती राह

 

कितनो की मैल धोते

कितने शव आँचल मे लपेटे

अन्दर कोलाहल समेटे

अपने पथ पर,

 

कोई पत्थर मार

सीना चीर देता 

कोई भारी चप्पुओं से

छाती पर करता प्रहार

लगातार,

 

सब सहती हुई

राह दिखाती राही को

तृप्त करती तृषा सब की

अग्रसर रहती अनवरत

तब तक, जब तक खो न दे

आस्तित्व,अपने 

प्रियतम से मिल कर ||

मीना पाठक 
मैलिक अप्रकाशित 

Views: 824

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on June 5, 2014 at 10:11pm

रचना सराहने हेतु आभार आभार आदरणीय नरेंद्र सिंह जी | सादर 

Comment by वेदिका on June 5, 2014 at 4:52pm
आह! बेहद खूबसूरत कविता!
बेहद भावभीनी और मासूम रचना पर हार्दिक बधाई आ0 मीना दीदी!
Comment by Meena Pathak on June 5, 2014 at 2:43pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी आप सब वरिष्ठों से अभी सीख ही रहीं हूँ | अभी और कहीं पोस्ट नही की हूँ इस कविता को , कहीं और पोस्ट करते समय आप की बात का ध्यान रखूँगीं |

हृदय से आभार स्वीकारें मार्गदर्शन और सराहना हेतु | सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 5, 2014 at 12:04pm

मीना जी

बहुत सुन्दर कविता है और यह वही पूर्ण हो जाती है  जब आप कहती है -जब तक खो न दे अस्तित्व i आगे की बात  पाठक की कल्पना पर छोड़ देती तो और मजा आ जाता  i   इस्मे जीवन का जो रूपक है  वह आकर्षित करता है i  सादर i

Comment by Meena Pathak on June 5, 2014 at 10:27am

प्रिय जितेन्द्र बहुत बहुत आभार | सस्नेह 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 5, 2014 at 12:07am

सब सहती हुई

राह दिखाती राही को

तृप्त करती तृषा सब की

अग्रसर रहती अनवरत

तब तक, जब तक खो न दे

आस्तित्व,अपने 

प्रियतम से मिल कर.............बहुत सुन्दरता से समर्पण को बयां करती पंक्तियाँ, हार्दिक बधाई आपको आदरणीया मीना दीदी

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 9:49pm

आदरणीया कुन्ती दी...आप की टिप्पणी रुपी स्नेह की प्रतीक्षा रहती है मुझे .. पा के धन्य हो जाती हूँ मै और मेरी रचना दोनों ...हृदय से आभार स्वीकारें | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 9:46pm

आदरणीय सुशील जी बहुत बहुत आभार स्वीकारें | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 4, 2014 at 9:43pm

सस्नेह आभार अन्नपूर्णा  जी 

Comment by coontee mukerji on June 4, 2014 at 6:01pm

 

सब सहती हुई

राह दिखाती राही को

तृप्त करती तृषा सब की

अग्रसर रहती अनवरत

तब तक, जब तक खो न दे

आस्तित्व,अपने 

प्रियतम से मिल कर ||....बहुत सुंदर. आपकी रचना दिल को छू देने वाली होती है...हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service