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दरिया रहा कश्ती रही लेकिन सफर तन्हा रहा

हम भी वहीं तुम भी वहीं झगड़ा मगर चलता रहा

साहिल मिला मंजिल मिली खुशियां मनीं लेकिन अलग
खामोश हम खामोश तुम फिर भी बड़ा जलसा रहा

सोचा तो था हमने, न आयेंगे फरेबे इश्क में
बेइश्क दिल जब तक रहा इस अक्ल पर परदा रहा

शिकवे हुए दिल भी दुखा दूरी हुई दोनों में पर
हर बात में हो जिक्र उसका ये बड़ा चस्का रहा

छाया नशा जब इश्क का 'चर्चित' हुए कु्छ इस कदर
गर ख्वाब में उनसे मिले तो शहर भर चर्चा रहा

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

- विशाल चर्चित

Views: 685

Comment

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Comment by Abhinav Arun on June 3, 2014 at 7:11pm
क्या कहने चर्चित जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल बधाई !!
Comment by Shyam Narain Verma on June 3, 2014 at 3:40pm
सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई  
Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 3, 2014 at 3:03pm

छाया नशा जब इश्क का 'चर्चित' हुए कु्छ इस कदर
गर ख्वाब में उनसे मिले तो शहर भर चर्चा रहा
क्या बात ..वा वाह 

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