For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

    १११  १११२  ११ १११, १११२  ११११ ११

9-) मान बड़ाई सब चहे, कितनी इसकी हद।

     दूजे को देते नहीं, पोषत खुद का मद॥ 

10-) मात-पिता व गुरु से, हर दम बोलत झूठ।  

       आपा भीतर झांक लो, हरि जाएगा रूठ॥

11-) ज्ञान क्षुदा उर में लिए, ढूंढत फिरत सुसंग।

       उर की आंखे खोल लो, जग में भरो कुसंग॥

12-) धन दौलत कुछ न बचे, तब तक मन में चैन।

       चरित्रिक बल सबल है, ना हो तुम बेचैन॥ 

13-) जनम-मरण के बीच में, कइ जीवन सोपान।

       भज लो सीता राम कों, हुइ जाए कल्याण॥ 

14-) लड्डू मेवा दूध फल, गर चाहत हरि खाय। 

       दीनन कछु देते नहीं, कैसे हरि को भाए॥

15-) काम वासना जगत में, बड़े पसारे जाल।

       हत भागी वे मनुज हैं, समझ न आवे चाल॥

16-) मनका माला पकड़ कर, बैठ रहत दिन रात। 

       सोचत हो हरि मिलेंगे, ये है झूठी बात॥

17-) जगत पसारा देखिया, सब लागे निसार। 

       अंतर मुख कर बैठिए, गह कर साँचो सार॥ 

18-) काम क्रोध मद जात लै, सीधे जम के द्वार।

       समय राहत गर चेत गए, तो होगा उद्धार॥ 

19-) सुता देह को पाइ के, आई बाबुल गेह।

       बे मन सब को पाईये, कोई ना करता नेह॥

कल्पना मिश्रा बाजपेई            

मौलिक व अप्रकाशित

       

   

Views: 332

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on March 18, 2014 at 9:26pm

आदरणीय श्री जितेंद्र सर आपको दोहे पसंद आए उसके लिए आभार सादर। गलती से आपके द्वारा लिखा गया कमेंट कट गया उसके लिए माफी चाहती हूँ। 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 18, 2014 at 9:20pm

आदरणीय श्री शिज्जु शकूर जी आभार आपका सादर ।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 14, 2014 at 10:09pm

आपकी पिछली दोहावली के मुकाबले ये काफी बेहतर लग रही है शिल्प का भी निर्वाह हुआ है बधाई स्वीकार करें। कुछेक दोहों में अभी भी गेयता बाधित है एक बार फिर से देख लें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service