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“ कह मुकरियाँ “ – प्रथम प्रयास ( गिरिराज भन्डारी )

कह मुकरियाँ – पाँच

*******************

मुझे छोड़ वो कहीं न जाये

इधर उधर की सैर कराये

साथ रहे जैसे हो  धड़कन

क्या सखि साजन , नहीं सखि मन

 

मुझको सच्ची राह दिखाये

सही गलत वो मुझे सुझाये 

मै, जाँ कह दूँगी, नहीं शरम

क्या सखि साजन . नहीं सखि धरम

                                 

जीते जी वो साथ न छोड़े

मर जाऊँ तो पीछे दौड़े

कर देता मेरी आँखें नम

क्या सखि साजन , नहीं रे करम 

                                 

मुझको हरदम राह भुलाये

पूछो तो कुछ नहीं बताये

जैसे कोई  उठाई  क़सम

क्या सखि साजन , नहीं सखि भरम

 

पास रहे तो बहुत सताये

बिना आग भी खूब जलाये

सब उल्टा कर दे  रहन सहन

क्या सखि साजन , नहीं सखि जलन 

 

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 26, 2014 at 9:54pm

आदरनीय सौरभ भाई , आपके शब्दों से बहुत राहत मिली , आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 7:14pm

इंगितों की सार्थकता से आपके बन्द विशिष्ट बन गये हैं. बधाई.. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 24, 2014 at 6:13pm

आदरणीया प्राची जी , कह्मुकरियों के प्रथम प्रयास को आपकी सराहना मिली , बहुत खुशी हुई , आगे और बेहतर कहने का प्रयास

करूंगा ॥ प्रवाह को सुधारने के विषय मे कुछ सोच रहा हूँ , सूझते ही सुधार कर लूंगा ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 24, 2014 at 11:01am
कह मुकरियों पर सुन्दर प्रयास हुआ है आ० गिरिराज भंडारी जी..ख़ास बात ये की आपने जिन आभासी संज्ञाओं मन धरम भरम करम जलन, को साजन के सापेक्ष जिस तरह रख कर देखा है उसने बहुत प्रभावित किया.. पदों की तीसरी पंक्तियों में आतंरिक शब्द संयोजन के कारण प्रवाह बाधित लगा

इस सार्थक प्रयास पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 13, 2014 at 7:06pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , कह मुकरियों की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 13, 2014 at 7:05pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , सराहना और उचित सलाह के लिये आपका आभारी हूँ , गेयता मे सुधार की कोशिश करूँगा ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 13, 2014 at 8:50am

बहुत ही सुंदर कह-मुकरियाँ कही आपने आदरणीय गिरिराज जी, आपको हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 12, 2014 at 11:28am

प्रथम प्रयास है ,पर सार्थक प्रयास है हार्दिक बधाई आपको .आ० अखिलेश जी ने जैसा  कहा  एक आध जगह प्रवाह बाधित है.पर आप उसे दुरुस्त कर लेंगे ये विश्वास है  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 11, 2014 at 9:16pm

आदरनीय नीरज नीर भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 11, 2014 at 9:15pm

आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , कह मुकरियों की सराहना के लिये आपका  आभारी हूँ ॥

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