For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब सब कुछ था
मेरे पास
जो
जीने के लिए काफी था
तुम्हारा प्यार,
तुम्हारा साथ,
तुम्हारा समय
तुम्हारा विश्वास
हमारा साहस
यही सब
मेरी बहुमूल्य पूंजी थी
वो
उड़ान भरते
सुनहरे सपने
जो
हम दोनों ने कभी देखे थे
दुनिया
अपने कदमों में थी
तो किसकी लगी नज़र ?
जो छूटा ...
तुम्हारा प्यार
तुम्हारा साथ
क्यों रुकीं
वो सांसें
वो जिन्दगी
टूटीं उम्मीदें
टूटे सपने
और
साथ ही
टूट गया
मेरा भरोसा
मेरा साहस
शायद
नहीं नहीं
नहीं कभी नहीं
खोयेगा
मेरा धैर्य
मेरा विश्वास
नहीं टूटेगा
मेरा साहस
क्योंकि
तुम
हाँ तुम हो
हमेशा मेरे साथ
मेरी हिम्मत बन
दोगे मुझे प्रेरणा
आगे बढ़ने की
..............................
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 23, 2014 at 12:00am

आदरणीया, आपकी इस प्रस्तुति के माध्यम से बृजेश भाई ने बहुत पते की बात की है.

प्रयास के लिए हार्दिक बधाई.

सादर

Comment by Sarita Bhatia on March 3, 2014 at 4:03pm

आदरणीय ब्रिजेश जी कृपया थोड़ा अगर विस्तार से इस बारे में समझा सकें तो महती कृपा होगी चाहे msg में ही बता दीजिये इसी में से उदाहरण देकर plzz 

Comment by Sarita Bhatia on March 3, 2014 at 4:01pm

आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on March 3, 2014 at 4:00pm

आदरणीय अन्नपूर्ण जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on March 3, 2014 at 4:00pm

आदरणीय लक्ष्मण जी हार्दिक आभार 

Comment by बृजेश नीरज on March 2, 2014 at 12:58pm

बहुत सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

पंक्तियों को तोड़ते समय प्रवाह को आधार बनाया जाना चाहिए.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 2, 2014 at 9:39am

आदरणीया सरिता जी . यही विश्वास , आत्मविश्वास तक पहुँचयेगा एक दिन , सुन्दर रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by annapurna bajpai on March 1, 2014 at 1:08pm

सुंदर रचना , आ0 सरिता भाटिया जी । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2014 at 12:32pm

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई 

Comment by Sarita Bhatia on February 28, 2014 at 7:26pm

हार्दिक आभार कल्पना जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service