For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलियाँ छंद-लक्ष्मण लडीवाला

टिकती है क्या झूठ पर, रिश्ते की बुनियाद

झूठ बोल हर बात में, करते सदा विवाद |

करते सदा विवाद, सवाल पूछ कर देखे

मुखड़ा करे बयान, होंठ व ननन जब निरखे 

कहते है कविराय. कभी न सत्यता छिपती

रिश्ते की बुनियाद कभी न झूठ पर टिकती ||

(2)

डाली डाली में जहाँ,फूलों की मुस्कान,
मेरा देश अखंड वह, भारतवर्ष महान 
भारतवर्ष महान,छटा है मोहक न्यारी  
दुल्हन जैसा रूप,जहां खिलती हर क्यारी 
लक्ष्मण सबको भान,यहाँ के हम सब माली 

पहन नया परिधान, सजे पुष्पों से डाली |

 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

 

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 4, 2014 at 6:02pm

दुसरे छंद को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्री सौरभ जी | प्रथम छंद पर पुनः प्रयास करता हूँ | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2014 at 1:53pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी, आपका दूसरा छंद बहुत ही अच्छा बन पड़ा है.

सादर बधाई

Comment by annapurna bajpai on February 13, 2014 at 8:09pm

सुंदर भाव युक्त कुंडलिया हेतु बधाई । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 13, 2014 at 6:01pm

छंद पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री गिरिराज भंडारी जी, और श्री नीरज कुमार "नीर" जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 13, 2014 at 5:58pm

कुंडलियाँ छंद सराहने के लिए आभार स्वीकारे आदरणीया सरिता भाटिया जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 13, 2014 at 5:57pm

कुंडलियाँ छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी एवं श्री श्याम नारायण वर्मा जी 

Comment by Neeraj Neer on February 13, 2014 at 9:34am

वाह बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 12, 2014 at 10:06pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सुन्दर कुंडलियाँ रचना के लिये आप्को बहुत बधाइयाँ । पहली कुंडलियाँ के गेयता की कमी लग रही है ॥

Comment by Sarita Bhatia on February 12, 2014 at 2:56pm

भाई लक्ष्मण जी हार्दिक बधाई खुबसूरत कुण्डलिया के लिए 

Comment by Shyam Narain Verma on February 12, 2014 at 1:00pm
लाजवाब कुंडलियों के लिए हार्दिक बधाई......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service