For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : नयन में प्यार का गौहर सम्हाल रक्खा है

बह्र : १२१२ ११२२ १२१२ २२

---------

सभी से आँख चुराकर सम्हाल रक्खा है

नयन में प्यार का गौहर सम्हाल रक्खा है

 

कहेगा आज भी पागल व बुतपरस्त मुझे

वो जिसके हाथ का पत्थर सम्हाल रक्खा है

 

तेरे चमन से न जाए बहार इस खातिर

हृदय में आज भी पतझर सम्हाल रक्खा है

 

चमन मेरा न बसा, घर किसी का बस जाए

ये सोच जिस्म का बंजर सम्हाल रक्खा है

 

तेरे नयन के समंदर में हैं भँवर, तूफाँ

किसी के प्यार ने लंगर सम्हाल रक्खा है

 

तुझे पसंद जो आया सनम वही मैंने

ग़ज़ल में आज भी तेवर सम्हाल रक्खा है

--------

(मौलिक एवं प्रकाशित)

Views: 807

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 12, 2014 at 9:03pm

बहुत बहुत धन्यवाद vandana जी 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 12, 2014 at 9:02pm

बहुत बहुत शुक्रिया Saurabh  जी 

Comment by vandana on March 4, 2014 at 7:04am

 

चमन मेरा न बसा, घर किसी का बस जाए

ये सोच जिस्म का बंजर सम्हाल रक्खा है

 

तेरे नयन के समंदर में हैं भँवर, तूफाँ

किसी के प्यार ने लंगर सम्हाल रक्खा है

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2014 at 1:49am

तेरे चमन से न जाए बहार इस खातिर

हृदय में आज भी पतझर सम्हाल रक्खा है

 

बहुत खूब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2014 at 7:07pm

बहुत बहुत धन्यवाद SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2014 at 7:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया Meena Pathak जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2014 at 7:06pm

आभारी हूँ  Neeraj Kumar 'Neer' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2014 at 7:06pm

आभारी हूँ नादिर ख़ान साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2014 at 7:05pm

बहुत बहुत शुक्रिया laxman dhami साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2014 at 7:05pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ  MAHIMA SHREE जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
51 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service