For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नित्यानंदम स्तयं निरूपम (विजय निकोर)

नित्यानंदम स्तयं निरूपम  !

 

श्यामल गंभीर रात्रि

सुनता हूँ संवेदनमय स्वर

"विचारों में गुँथे, वेदना से बिंधे

अस्वीकृत एकाकी मन

तू उदास न हो"

 

टूटे संबंधों के

वीरान प्रवहमान प्रसारों में

कल की पुरानी किसी की

प्यार भरी हँसी, स्नेहमयी आँखों में

देखो, शायद सुख-शांति मिल जाए

देखो उन आँखों में, इतना न देखो

कि तुम्हें अनजाने

अज्ञात दर्द कोई और मिल जाए

 

मानवीय संबंधों का आत्मीय दर्शन

मौन में था पला, मौन में जिया

क्या हुआ कुछ तो हुआ उस मौन को

कि अब वह रहस्यमय

द्वंद्व-स्थिति में अनंत हुआ ?

 

याद है ? रात्रि-श्यामल वेला थी

मन:स्थिति को तोलती

हृदय की गाँठों को खोलती

तू कहती थी ... यह संबंध

था न दिलों का, न गिलों का

न उलझे-सुलझे खयालों का

न बँधी थी आत्मा आत्मा से

संबंध था सदैव पूर्ण-सम्पूर्ण

नित्यानंदम  स्तयं  निरूपम

 

क्षमा करो मित्र अति आत्मीय

शत शंकाओं के धुँधलके में

कठिन तथ्यों के विश्लेषण करते

आज पूछ लूँ क्या, कब क्या हुआ

नित्यानंदम स्तयं निरूपम रूठ गया ?

 

--------

-विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 574

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 12:16pm

रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीया सरिता जी

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 12:14pm

//एक बार फिर में निशब्द हो गयी ....आपकी लेखनी मन के भावों कि स्याही से ओत-प्रोत है और उसमे आपके ह्रदय की कोमलता, मिठास मिल कर पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देती है.//

 

आपकी  भावाभिव्यक्ति मेरी प्रेरणा का स्रोत है। उत्साहवर्धन हेतु बहुत धन्यवाद, आदरणीया प्रियंका जी।

 

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 7:58am

//आपकी रचनाओं में जो भाव -प्रवणता होती है,उसे शब्दों में निरूपित करना असम्भव है। उन्हें पढ़ते हुए ,केवल उन भावों को अनुभूत किया जा सकता है,वर्णित नहीं। अतिसुन्दर रचना!//

आपके यह शब्द मेरे लिए पुरस्कार हैं, आदरणीया सावित्री जी, आपका हार्दिक धन्यवाद।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 7:55am

//आपकी रचनाओं को पढना सदा एक अनोखी अनुभूति दे जाता है//

 

रचनाओं को ऐसी सराहना देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय बृजेश जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 7:36am

//आपकी रचनाएं सदैव एक विशेष प्रवाह में बहा ले जातीं हैं...इस रचना में प्रस्तुत अन्त:संवाद अन्त:करण पर अमिट छाप डाल रहा है।
संवेदनाओं का इतनी सूक्ष्मता से विश्लेषित कर उनके चरम को स्पर्श करना...सच में बहुत आनन्ददायी होता है।//

आदरणीया वंदना जी, आपने मेरी भावाभिव्यक्ति के मर्म को छू कर सदैव बहुत मान दिया है, और मैं इसके लिए हृदयतल से आभारी हूँ।

 

मेरा साहस बढ़ाए रखें,

विजय

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 7:32am

रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय रमेश जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on January 23, 2014 at 7:35am

आपने सफ़र पर रहते हुए भी रचना को समय दिया और प्रतिक्रिया दी, आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय भाई सौरभ जी।

 

सादर,

विजय नोकोर

Comment by vijay nikore on January 23, 2014 at 7:32am

//बहुत सुंदर....आपकी रचनाएं.. लौकिक अलौकिक गुणों  की खान होती है....सगुण  निर्गुण का संवाद...दार्शनिक सब कुछ//

आप सदैव मेरी रचनाओं को इतना मान देती हैं, आपका शत-शत आभार, आदरणीया कुंती जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on January 22, 2014 at 2:41pm

//आत्मीय रिश्तों मे आये आंतरिक परिवर्तन और उससे उपजे प्रश्न को बहुत सुन्दरता से बयान किया है आपने//

मेरे भाई आदरणीय गिरिराज जी, मुझको आपसे जो स्नेह मिला है उसके लिए आभारी हूँ।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on January 22, 2014 at 2:39pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय नीरज कुमार जी।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service