For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया [सरिता भाटिया]

जाने वाला साल सब सुख चैन ले गया
नयनों में है नीर दिल में दर्द दे गया /


क्या मनाएं साल उस बिन अब लगे न दिल
एक झटके में सभी अरमान ले गया /


मुस्कराएँ हम क्या तेरे बिन ओ साथी अब
खुशिओ का तू सारा ही सामान ले गया /


उसकी हर आहट का होता है मुझे गुमाँ
खुद को समझायें क्या वो संसार से गया /


याद आती उसकी है अब रात रात भर
यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /


काटना है अब अकेले उस बिना सफ़र
जिन्दगी भर का गमे पैगाम दे गया /

मौलिक व् अप्रकाशित......

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on January 9, 2014 at 5:54pm
करुणा के भावों से ओतप्रोत एक प्रभावी रचना के लिए साधुवाद सरिता दीदी
Comment by Meena Pathak on January 9, 2014 at 12:53pm

 आप की रचना के भाव दिल को छू गये सरिता जी .. वेदनापूर्ण रचना हेतु बधाई आप को | सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 11:50am

आदरणीया सरिता जी बेहद मार्मिक अभिव्यक्ति पढ़कर बस मौन हूँ.

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:13am

शुक्रिया जितेन्द्र जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:12am

शुक्रिया अविनाश जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:12am

आदरणीय अरुण जी मार्गदर्शक बनें रहें ,शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:11am

आदरणीय शिज्जू जी शुक्रिया 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 8, 2014 at 12:42am

वेदना से भरी यादों को सुंदर भाव मिले, बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

Comment by AVINASH S BAGDE on January 7, 2014 at 10:54pm

यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /...खूबसूरत रचना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on January 7, 2014 at 10:02pm

मार्मिक अभिव्यक्ति................सादर..............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
35 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service