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बाप के जूते - अतुकांत (गिरिराज भंडारी)

बाप के जूते

***********

जब से

बाप के जूते

बच्चों के पैरों  में

आने लगे हैं ,

वो सही ग़लत

बाप को ही

समझाने लगे हैं  ।

बुजुर्ग बाप

अपने जीवन भर के

अनुभवों की थाती लिये

अब

किसी कोने लगा है ।

 

अपनी असहायता पर ,

अनुपयोगिता पर

कोने लगा ,

रोने लगा है ।

 

खा रहा है रोटियाँ

अकेलेपन के साथ

इसलिये कि वो ज़िन्दा है

वैसे अब जीवन में

कुछ धरा नही है ।

 

वो ज़िन्दा इसलिये है

क्योकि , वो

मरा नही है ।

************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 16, 2014 at 8:34am

आदरणीय सौरभ भाई , अतुकांत रचना को आपका अनुमोदन मिला , मन प्रसन्न हो गया ॥ आपका बहुत शुक्रिया ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 3:40pm

एक ऐसी कविता जो ज़िन्दा समझ और सचेत भावनाओं से शब्द-संस्कार पा रही दिखती है.

बहुत-बहुत बधाई आदरणीय गिरिराजजी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 9, 2014 at 12:04pm

आदरणीय अरुण भाई , रचना पर आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 11:27am

उफ्फ !!!! मर्मस्पर्शी यथार्थ के परिवेश को सुन्दर शब्द दिए हैं आपने. पढ़कर ह्रदय नम हो गया इस मर्मस्पर्शी रचना पर दिल से बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 9, 2014 at 11:09am

आदरणीया सविता जी , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 9, 2014 at 11:08am

आदरणीय लक्ष्मण भाई , रचना पर आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ ॥

Comment by savitamishra on January 9, 2014 at 10:48am

बहुत सुन्दर...एक सच्चाई भी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 9, 2014 at 8:36am

आदरणीय भाई गिरिराज जी;
आज के सामाजिक परिवेश में पिता की बढ़ती लाचारी को जो मार्मिक भावाभिव्यक्ति  आपने दी उसके लिए हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 9, 2014 at 7:05am

आदरणीया वंदना जी , रचना की सराहना के लिये आपका बहुत आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 9, 2014 at 7:04am

आदरणीय आशीष भाई , रचना पर आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ ॥

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