For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी शायरी का असर है तू ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

॥ नये साल की पहली ग़ज़ल मेरे भगवान को समर्पित ॥

 ॐ श्री साई नाथाय नमः

   11212        11212

मेरी शायरी का  असर  है  तू

मेरी ज़िन्दगी का  हुनर है  तू

मै हूँ एक बुझती सी आग बस

मुझे फिर जला दे , शरर है तू

तू  नज़र से  मेरी है  दूर पर

मै हूँ  देखता , वो नज़र  है तू

तू हवा भी है तू फ़िज़ा  भी है

तू ही चांदनी है , क़मर  है तू  ( क़मर = चाँद )

तुझे  हर तरफ  मै हूँ  देखता  

बू-ए-गुल भी तू है शजर है तू

मेरी  सोच भी , तू खयाल भी

मेरी  शाम तू  है सहर  है तू

तू  ही  रास्ता तू ही   राहबर

मेरा  कारवाँ  है सफर  है  तू

मै  ही तू हुआ, तू ही मै बना

तू  खला कभी तो दहर है तू  ( दहर = संसार )

मेरी  जीत  भी ,मेरी  हार भी

तू है  शादमानी, कहर  है तू

मै  तो इक ग़रीब सा फ़र्द हूँ

मै  कहूँ  ख़ुदा से गुहर है तू

********************************   

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

Views: 1771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 9:08pm

के जिसपे सबकुछ बेअसर हो
मेरे मुरशिद वो असर है तू ।

क्या लिखते हैं आदरणीय भण्डारी जी आप इस सूफियाना अंदाज़
के तो कायल हो रखे हैं हम
बहुत ही खूबसूरत

मेरे जिन शब्दों पे था मुझेबहुत ही नाज़ ।
आज फ़कीर कर गए मुझे मेरे वो अलफ़ाज़ ।

क्या कहूँ शब्दों कि तो एक सीमा है
और कहने का भाव बहुत असीम है

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 1, 2014 at 8:40pm

इस नव वर्षपर प्रस्तुत भाव पूर्ण रचना के लिये बधाई।  नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2014 at 7:47pm

आदरणीय गिरिराज जी मेरे कहने का मतलब है कि कहर और दहर का वज्न 21 होता है, फिर भी इस विषय में जानकारों की राय जानना सही रहेगाl देखें वे क्या कहते हैं?


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 6:25pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , ग़ज़ल पर आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 1, 2014 at 6:07pm
1-तू तू करता तू भया मुझ मय रही न हुँ।
2- जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है।
ऐसे ही कई सारे दार्शनिक- आध्यात्मिक उक्तियों से साक्षात्कार करवाती अत्यंत सुन्दर गजल।
नववर्ष की अनेकश: शुभकामनाएं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:49pm

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥ तकाबुले रदीफ दोष का ध्यान दिलाने के लिये शुक्रिया , ठीक कर लूंगा ॥ कह्र और दह्र मै जानता हूँ , पर कई बड़े शायरो को कहर और दहर उपयोग करते देखा है, इस्लिये फायदा उठा लिया है , नही तो मेरे दो शेर काटने पड़ जायेंगे ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:47pm

आदरणीय सुशील भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन करने केलिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:46pm

आदरणेय श्याम भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:45pm

आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:14pm

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥ तकाबुले रदीफ दोष का ध्यान दिलाने के लिये शुक्रिया , ठीक कर लूंगा ॥ कह्र और दहर मै जानता हूँ , पर कई बड़े शायरो को कहर और दहर उपयोग कर्ते देखा है इस्लिये फायदा उठा लिया है , नही तो मेरे दो शेर काटने पड़ जायेंगे ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service