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“दाग“ 

********

मूर्खता है ,

होली में रंगे कपड़ों से

दाग छुड़ाने की कोशिश ।

कोई कहता भी नहीं उसे

दाग दार ।

वो अलग हैं , दागियों से

वो होली के हैं । बस ,

स्वीकार करें ,

वैसे ही ,

अगर मजबूरियाँ हैं ,  पहन भी लें ।

कोई न कहेगा , दागदार , कहेगा होली के ,

दाग दार कहा ही

तब जाता है

जब , सारा कुछ हो उजला

और

दाग हों एक –दो

इंगित भी किया जाता है इसे ही ,

प्रयास भी किया जा ता है

छुड़ाने का ,

रहती हैं अपेक्षाएँ भी

दाग छुड़ा लिये जाने की

ताकि , हो सकें आप ,

निर्मल , बेदाग ,पवित्र ॥

ये तो शुभ सूचक है  ।

आनन्द का ,

खुशी का कारण है ।

मुझे प्राप्त हुआ , ये आनन्द

सौभाग्य से ,

कल भी , और पहले भी

बाटना चाहता हूँ  मै , देना चाहता हूँ

उनको भी ,जो उदास हैं  

कहता हूँ , इसीलिये

उनसे,

दो – एक दाग दिख रहे हैं

कपड़ों में आप के भी ॥

**********************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment

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Comment by बृजेश नीरज on December 27, 2013 at 9:48am

अच्छा प्रयास है! रचना को कसावट की जरूरत है! भाव बिखरे हुए हैं और क्रमबद्धता की कमी है!

बहरहाल, इस अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 27, 2013 at 8:03am

आदरनीया महिमा जी , रचना पर आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 27, 2013 at 8:02am

आदरणीया राजेश कुमारी जी , रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 27, 2013 at 8:01am

आदरणीय बड़े भाई , विजय जी , आपका बहुत बहुत आभार ॥

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2013 at 7:24pm

वाह !! कितनी खुबसूरत बात कही आपने ..बिलकुल नए  और अनोखे अंदाज में .....हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज जी ..सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 26, 2013 at 10:20am

बहुत बढ़िया गहन भाव समेटे प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज जी 

Comment by vijay nikore on December 26, 2013 at 9:58am

//

मुझे प्राप्त हुआ , ये आनन्द

सौभाग्य से ,

कल भी , और पहले भी

बाटना चाहता हूँ  मै , देना चाहता हूँ

उनको भी ,जो उदास हैं  //

बहुत सुन्दर भाव पिरोय हैं।

 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2013 at 8:38pm

आदरनीय सत्यनारायण भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥

Comment by Satyanarayan Singh on December 25, 2013 at 8:32pm

आ.गिरिराज जी सादर हार्दिक बधाई अतुकांत रचना के सन्दर्भ में वैसे अधिक जानकारी नहीं है किन्तु भाव पक्ष प्रबल है.,

             


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2013 at 4:20pm

आदरणीय अरुण भाई , रचना पर आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ

कृपया ध्यान दे...

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