For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कष्ट सहे जितने यहाँ,डाल समय की धूल|

अंत भला सो सब भला ,बीती बातें भूल||

 

विद्या वितरण से खुलें ,क्लिष्ट ज्ञान के राज|

कुशल तीर से ही सधे ,एक पंथ दो काज||

 

कृष्ण काग खादी पहन,भूला अपनी जात|

चार दिवस की चाँदनी,फिर अँधियारी रात||

 

जिसके दर पर रो रहा , वो है भाव विहीन|

फिर क्यों आगे भैंसके,बजा रहा तू बीन|| 

 

सफल करो उपकार में,जीवन के दिन चार|

अंधे की लाठी पकड़ ,सड़क करा दो पार||

        

विटप बिना जो नीर के ,जड़ से सूखा जाय|

सावन का अंधा उसे ,हरा हरा बतलाय||

 

बुरी बला लालच समझ ,मन का तुच्छ विकार|

जितनी चादर ढक सके ,उतने पैर पसार||

 

तू देखेगा और का ,भगवन तेरा हाल|

बस करके नेकी यहाँ ,दरिया में तू डाल||

 

 लाया क्या कुछ साथ तू ,जो ले जाए साथ|

  छूटेगा सब कुछ यहाँ ,जाना खाली हाथ|| 

 

 (पुच्छल)

ओबीओ की भीड़ में, रचना  खो ना जाय|

जैसे मुँह में ऊँट के ,जीरा मिल ना पाय||

**************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1221

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 6:44pm

आदरणीय नादिर खान  जी दोहावली ने आपको प्रभावित किया पसंद आई मेरा लेखन सार्थक हुआ दिल से आभार आपका.  

Comment by नादिर ख़ान on December 12, 2013 at 6:09pm

आदरणीया  राजेश जी एक से बढ़कर एक मंत्र मुग्ध कर देने वाले दोहे ...

बहुत बहुत  बधाई आपको इस शानदार रचना के लिए ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 2:18pm

जितेन्द्र गीत जी आपने बहुत अच्छी बात कही है किसी न किसी परिस्थिति में इन कहावतों का जन्म हुआ होगा कई बार हम लोग भी और हमारे बड़े भी इन कहावतों को दैनिक बोलचाल में प्रयोग करते आये हैं बस यूँ ही एक दिन ये प्रयोग करने की दिमाग में आई और ये कोशिश की ,आप को पसंद आई दिल से आभारी हूँ ,प्रतिक्रिया स्वरुप दोहा बहुत बढ़िया लिखा. 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 12, 2013 at 12:39pm

 इन्सान जीवन में कहीं विचलित न  हो , शायद इसीलिए कहावतों  का प्रयोग किया जाता रहा होगा, आपने इन कहावतों को नया रूप देकर, एक सकारात्मक सुखद सन्देश दिया है, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश जी

" आप आराम से रहो, सब है जिम्मेदार ''

" कहावतों में कह गये, चिंता है बेकार "....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:46am

राहुल देव जी, हार्दिक आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:45am

अरुण श्रीवास्तव जी दोहों पर आपकी सराहना  पाकर उत्साहित हूँ ,मेरा प्रयोग सफल हुआ दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:44am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपको कहावतों को दोहों में प्रयोग करने वाला ये प्रयोग अच्छा लगा मैं भी आश्वस्त हुई कि लिखना सार्थक हुआ आपकी सराहना से मेरी लेखनी को बल मिला हार्दिक आभार आपका.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:37am

प्रिय प्रियंका सिंह जी, दोहे पसंद आये आपको, सराहना के लिए दिल से आभार आपका. 

Comment by Arun Sri on December 12, 2013 at 10:31am

वाह ! वाह ! कहावतों को बिल्कुल नए रूप में प्रस्तुत किया आपने ! और इतने सटीक कि उन कहावतों कि जगह पूरे दोहे का प्रयोग हो सकता है ! बहुत सुन्दर ! वाह !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:23am

प्रिय महिमा श्री जी आपको दोहावली पसंद आई लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service