For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सच है यही कि स्वर्ग न जाती हैं सीढ़ियाँ

बह्र : २२१२ १२११ २२१२ १२

-------- 

सच है यही कि स्वर्ग न जाती हैं सीढ़ियाँ

मैं उम्र भर चढ़ा हूँ पर बाकी हैं सीढ़ियाँ

 

तन के चढ़ो तो पल में गिराती हैं सीढ़ियाँ

झुक लो जरा तो सर पे बिठाती हैं सीढ़ियाँ

 

चढ़ते समय जो सिर्फ़ गगन देखता रहे

जल्दी उसे जमीन पे लाती हैं सीढ़ियाँ

 

मत भूलिये इन्हें भले आदत हो लिफ़्ट की

लगने पे आग जान बचाती हैं सीढ़ियाँ

 

रहना अगर है होश में चढ़ना सँभाल के

हर पग पे एक पैग पिलाती हैं सीढ़ियाँ

-------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 7, 2014 at 10:07pm

बहुत बहुत शुक्रिया Sanjay Mishra 'Habib' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 7, 2014 at 10:03pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ  सौरभ जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 7, 2014 at 9:30pm

बहुत बहुत शुक्रिया Abhinav Arun जी

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on December 16, 2013 at 4:57pm

वाह!! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल... आ धर्मेन्द्र भाई जी सादर बधाई स्वीकारें....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 14, 2013 at 2:26am

सीढ़ियों को मरकज़ बना कर एक अच्छा प्रयोग हुआ है.

हार्दिक बधाई, आदरणीय धर्मेन्द्रजी.

Comment by Abhinav Arun on December 8, 2013 at 5:40am

तन के चढ़ो तो पल में गिराती हैं सीढ़ियाँ

झुक लो जरा तो सर पे बिठाती हैं सीढ़ियाँ



चढ़ते समय जो सिर्फ़ गगन देखता रहे

जल्दी उसे जमीन पे लाती हैं सीढ़ियाँ

.................वाह वाह आ. धर्मेन्द्र जी उम्दा ग़ज़ल ..सार्थक रचना सीख देती रचना के लिए ढेरों मुबारकबाद !!

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 7, 2013 at 11:30pm

बहुत बहुत धन्यवाद savitamishra जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 7, 2013 at 11:29pm

बहुत बहुत शुक्रिया अरुन शर्मा 'अनन्त' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 7, 2013 at 11:29pm

बहुत बहुत धन्यवाद Meena Pathak जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 7, 2013 at 11:29pm

बहुत बहुत शुक्रिया Nilesh Shevgaonkar जी।

अरुज के अनुसार पर को प’ पढ़ने की छूट होती है। ऐसा बहुत सारे शायर पहले से करते आ रहे हैं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service