For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टूटा फूटा खिलौना ( अतुकांत ) गिरिराज भंडारी

टूटा फूटा

खिलौना

फेक देने लायक

खेलता बच्चा

खुश है

आनंदित है

खिलखिला रहा है

बावज़ूद इसके

खिलौना टूटा है

आनंद सच्चा है

समूचा है

क्यों कि आनंद वस्तु में नही

अपने भीतर है

शायद जानता ये बच्चा है !!!!

और

छीन लेने से

बेमोल , टूटे खिलौने को

चिल्लाता है

रोता है

आँसू भी बहाता है

सच्चे सच्चे

हम समझदार हैं

व्यर्थ की वस्तु के लिये

रोना हमारे लिये निरा व्यर्थ है

बच्चा जानता है लेकिन

सच्चा आनंद देती

उस टूटे फूटे

खिलौने का   

उसके लिये क्या अर्थ है

सोचता हूँ कभी कभी

क्या समझदारी

आनंद छीन लेती है ?

*****************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 861

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on October 28, 2013 at 3:20pm

ठगा सा रह गया आपकी इस रचना पर और उसकी प्रस्‍तुति पर । समझदारी आनंद छीनती है, आपकी रचना के परिप्रेक्ष्‍य में विचार करता हूं तो ऐसा ही लगता है, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 1:27pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 28, 2013 at 9:36am

क्यों कि आनंद वस्तु में नही

अपने भीतर है

शायद जानता ये बच्चा है !!!!

बहुत गहरी सच्चाई, सुंदर रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय गिरिराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 8:16am

आदरणीया वन्दना जी , रचना की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 8:15am

आदरणीय सुशील भाई , आपने मेरी चिंतन के मर्म को छू लिया , आदरणीय आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 8:10am

आदरणीय विशाल भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 8:10am

आदरणीय अतेन्द भाई , आनंद मे जी पाना ही जानने का सबूत  होता है , और आनंदित न रह् पाना ही अज्ञानता का ,यही बात चिंतन से समझाने का प्रयास किया हूँ !!!! रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 8:05am

आदरणीय बैद्यनाथा भाई , चिंतन आपको भा गये , मुझे बहुत खुशी हुई !!! ये खुशी देने के लिये आपका आभारी हूँ !!!!

Comment by vandana on October 28, 2013 at 6:59am

सोचता हूँ कभी कभी

क्या समझदारी

आनंद छीन लेती है ?

सार्थक रचना ....हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज सर 

Comment by Sushil.Joshi on October 28, 2013 at 5:17am

क्या समझदारी

आनंद छीन लेती है ?............ इस सवाल को छोड़ती हुई रचना सचमुच सोचने पर मजबूर कर देती है...... और फिर मन कहता है शायद 'हाँ'............. क्योंकि तभी एक नासमझ बच्चा टूटे फूटे खिलौने से भी आनंदित हो उठता है और हम शायद उसे देख मुँह मोड़ते हैं.......... बच्चे को मनोभावों को दर्शाती एक सुंदर रचना हेतु बधाई आ0 गिरिराज जी....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
27 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
28 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
56 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service