For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (७) : ख़ुदकुशी अच्छी नहीं होती !

बहुत ज्यादा भी हो, पाकीज़गी, अच्छी नहीं होती 
न करना यार मेरे, ख़ुदकुशी, अच्छी नहीं होती//१ 
.
चलो माना, के जीने के लिए, खुशियाँ जरूरी है 
जरा भी ग़म न हो, ऐसी ख़ुशी, अच्छी नहीं होती//२ 
.
भले ही, आह उट्ठे है !!, दिलों से, वाह उट्ठे है !! 
मगर सुन, आँख की, बेपर्दगी अच्छी नहीं होती//३
.
तजुर्बे का, अलग तासीर है, यारों मुहब्बत में 
हमेशा इश्क़ में, हो ताज़गी, अच्छी नहीं होती//४ 
.
नसों को चीर कर, ग़म की जड़े भी, फैल जाती हैं 
बहुत ग़मगीन हो, तो ज़िंदगी, अच्छी नहीं होती//५ 
.
उजाले की तरह, जो लोग हैं, बचके जरा मिलना 
नज़र अंधी करे, वो रौशनी, अच्छी नहीं होती//६ 
.
वही पहनो, वही ओढ़ो, तेरे ज़ेहन, को जो भाये 
दिखावा बन चले, जब सादगी, अच्छी नहीं होती//७ 
.
तड़प कितनी, हरारत क्या, जरूरी है, समझ लेना 
बराबर गर नहीं, वो आशिक़ी, अच्छी नहीं होती//८ 
.
गज़लगोई नई है, ‘नाथ’ ना सर, को क़लम कर दे 
नये हथियार से, बाज़ीगरी, अच्छी नहीं होती//९ 
.

"मौलिक व अप्रकाशित"

वज्न : बहुत-12/ज्यादा-22/भी-1/हो-2/पाकीज़गी-2212/अच्छी-22/नहीं-12/होती-22 [1222-1222-1222-1222]

Views: 1077

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 20, 2013 at 6:52pm

न + तिरा = करके भी वजन किया जा सकता है..ऐसा मुझे लग रहा है...संधि की तरह...//...जैसे आप नकाब उलटे हुए = नकाबुल टे हुए = १२२२      १२ ....क्या मैं सही हूँ 

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 20, 2013 at 6:49pm

आ. सौरभ पाण्डेय साहब ...यह शे'र देखे...

क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा

कुछ न होगा तो तजुर्बा होगा....//ज़नाब जावेद अख्तर 

....आपका कथन सही है...लेकिन मुख्य है वज्न..जो सही शब्द से उससे इतर नहीं हो...ऐस मुझे लगता है..लेकिन मैं सुधार कर लूँगा....नमन आपको...//

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 20, 2013 at 6:43pm

गज़लगोई   नई      है    ‘नाथ’, न    तेरा,   सर   क़लम   कर दे 

1222         12     2     21    1    12       2     12      22.........यहाँ न और ते = २ ...किया है क्या सही है?

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 20, 2013 at 6:40pm

आपका 'यारो'....बहुत ख़ुशी हुई...कभी मैंने..इस बात पर गौर नहीं किया था....कोटिश: आभार //....तब तो लोगो होगा नहीं के लोगों...

आप क्या कहते है आ. पाण्डेय साहब........नमन 

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 20, 2013 at 6:39pm

मैं शब्द ''तज़्रिबा'' ही उसे करूँगा..वजन तो 212 ही होगा...कोई दिक्क़त नहीं है...बहुत बहुत शुक्रिया..आप महानुभावों का...कृपया एक बार पुन: सत्यापित कर देते तो महती कृपा होगी...//

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 20, 2013 at 6:37pm

आदरणीय ..सौरभ पाण्डेय जी, शकील साहब...

गज़लगोई   नई      है    ‘नाथ’, न    तेरा,   सर   क़लम   कर दे 

1222         12     2     21    1    12       2     12      22............

तज़्रिबा.......जी बिलकुल मैं वाकिफ़ हूँ...शब्द यह ही है...//...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 20, 2013 at 4:29pm

ज़ेह्न को सही कर लिया आपने. तज़ुर्बा वस्तुतः कोई शब्द ही नहीं है. सही शब्द है तज़्रिबः या तज़्रिबा.  मेरा यही कहना था.

हाँ, तज़ुर्बे वाले मिसरा का वज़्न सही हो गया है. .. मग़र अब इसमें शुतुर्गुर्बा का ऐब दिखने लगा है.

यारों   को यारो लिखा करें, यह सम्बोधनसूचक शब्द है.

गज़लगोई नई है ‘नाथ’, न तेरा, सर क़लम कर दे  ..  कृपया इस मिसरे की तक्तीह करें.

Comment by शकील समर on October 20, 2013 at 4:24pm

गज़लगोई/ नई है ‘ना/थ’, न तेरा, सर/ क़लम कर दे

1222/1222/11222/1222

तक्तीअ करने पर तीसरे रुक्न में एक अतिरिक्त लघु आ रहा है आदरणीय रामनाथ जी। यानी बह्र का पालन नहीं हो रहा है।

आप चाहें तो इसे ऐसा कर सकते हैं—

गजलगोई/नई है सर/कलम तेरा/न हो ऐ ना/थ
1222/1222/1222/1222/+1

खुद संतुष्ट हो जाएं तभी इस मिसरे को शामिल करिएगा। आभार।

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 20, 2013 at 4:08pm

आदरणीय शकील साहब...ऐसा करने से शायद मैं ''ना'' का मसला निपटा सकता हूँ....

गज़लगोई नई है ‘नाथ’, न तेरा, सर क़लम कर दे //...........देखे और जरूर आश्वस्त करें..आपका आभारी 

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 20, 2013 at 3:51pm

नमन आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी....आभार वज्न का फर्क आ रहा है...

ऐसा करूँगा...अगर //

मजा है तजुर्बे का भी मेरे यारों मुहब्बत में..//

वही पहनो वही ओढ़ो जो तेरे जेह्न को भाये 

तो लगता है शायद सही हो जायेगा.....आप क्या कहते हैं...सादर नमन !!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
11 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। लघु आकार की मारक क्षमता वाली लघुकथा से गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service