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दिले नादान आ जाना [ गजल ]

दिले नादाँ  पिया आना
दिले महफिल सजा जाना /

दिलों के जख्म सीले हैं
उन्हें मरहम लगा जाना /


सनम यह बेरुखी क्यों है ?
जरा आकर बता जाना /

सनम मुझसे खफा क्यों हो ?
वो हाले दिल सुना जाना /

नहीं तकरार करना अब
करें इज़हार आ जाना /

अभी मजबूरियां क्या हैं ?
कहे सरिता बता जाना //

..................................

    मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by coontee mukerji on October 18, 2013 at 1:43pm

दिलों के जख्म सीले हैं
उन्हें मरहम लगा जाना /.....बहुत खूब.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 7:55pm

ये भी ग़ज़ल है ! यों,  इसे उन्नत गीत के रूप में ढाला जा सकता था.

खैर ... .

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 5:58pm

आदरणीय गुरुदेव अरुण निगम जी ,अरुण आपका हार्दिक आभार उचित मार्गदर्शन करते रहें 

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 5:57pm

आदरणीय बागी जी हार्दिक आभार आपकी बहुमूल्य टिप्पिनीओं से ही अपनी लेखनी का मूल्यांकन कर पाती हूँ ,बार बार बिजली की वजह से यहाँ आकर कोई जवाब दिए बिना हि जाना पड़ा उसका मुझे अफ़सोस है 

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 5:55pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी हार्दिक आभार आपका कहना सही था 

मैंने दिले नादाँ को ठीक कर लिया है 

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 5:53pm

आदरणीय शकील जमशेद्पुरी जी ,आदरणीय आशुतोष जी ,आदरणीय सुशील जोशी जी ,आदरणीया शशि पुवार जी ,आदरणीय ब्रिजेश जी सभी का हार्दिक अभिनन्दन 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 17, 2013 at 3:21pm

आदरणीया सरिता भाटिया जी, प्रस्तुति पर प्राप्त टिप्पणियों को आप acknowledge नहीं कर रही है, जिससे यह पता ही नहीं चलता कि आप पाठकों की बातों को पढ़ पा रही हैं । 

सादर ।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 17, 2013 at 12:11am

आदरणीया सरिता जी, बढ़िया गज़ल, बधाई...........

Comment by shashi purwar on October 16, 2013 at 5:11pm

accha prayas hai badhai

Comment by बृजेश नीरज on October 16, 2013 at 1:42pm

अच्छा प्रयास है! कोशीशें सही दिशा में हैं. आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

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