दिले नादाँ पिया आना
दिले महफिल सजा जाना /
दिलों के जख्म सीले हैं
उन्हें मरहम लगा जाना /
सनम यह बेरुखी क्यों है ?
जरा आकर बता जाना /
सनम मुझसे खफा क्यों हो ?
वो हाले दिल सुना जाना /
नहीं तकरार करना अब
करें इज़हार आ जाना /
अभी मजबूरियां क्या हैं ?
कहे सरिता बता जाना //
..................................
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
दिलों के जख्म सीले हैं
उन्हें मरहम लगा जाना /.....बहुत खूब.
ये भी ग़ज़ल है ! यों, इसे उन्नत गीत के रूप में ढाला जा सकता था.
खैर ... .
आदरणीय गुरुदेव अरुण निगम जी ,अरुण आपका हार्दिक आभार उचित मार्गदर्शन करते रहें
आदरणीय बागी जी हार्दिक आभार आपकी बहुमूल्य टिप्पिनीओं से ही अपनी लेखनी का मूल्यांकन कर पाती हूँ ,बार बार बिजली की वजह से यहाँ आकर कोई जवाब दिए बिना हि जाना पड़ा उसका मुझे अफ़सोस है
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी हार्दिक आभार आपका कहना सही था
मैंने दिले नादाँ को ठीक कर लिया है
आदरणीय शकील जमशेद्पुरी जी ,आदरणीय आशुतोष जी ,आदरणीय सुशील जोशी जी ,आदरणीया शशि पुवार जी ,आदरणीय ब्रिजेश जी सभी का हार्दिक अभिनन्दन
आदरणीया सरिता भाटिया जी, प्रस्तुति पर प्राप्त टिप्पणियों को आप acknowledge नहीं कर रही है, जिससे यह पता ही नहीं चलता कि आप पाठकों की बातों को पढ़ पा रही हैं ।
सादर ।
आदरणीया सरिता जी, बढ़िया गज़ल, बधाई...........
accha prayas hai badhai
अच्छा प्रयास है! कोशीशें सही दिशा में हैं. आपको हार्दिक बधाई!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online