For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काश ! कोई साथी होता।
एक अच्छा-सा साथी होता।।
खुशियों में जो साथ निभाता,
दुःख में भी नहीं घबराता।
घिरे होते दुःख में हम,
वो बाँटता हमारे ग़म।
दूर करता दर्द सारे,
आँसू पोंछता हमारे।
होता उसका हमें सहारा,
होता वो एक हमारा।
ऐसा एक साथी होता।
काश ! कोई साथी होता।
ज़िन्दगी की राहें सुनसान,
ख़तरों से हम अनजान।
जब रास्ता जाते भटक,
मुश्किलों में जाते अटक।
थाम लेता हाथ हमारा,
देता फिर हमें सहारा।
भटकने से हमें बचाता,
एक नयी राह दिखाता।
ऐसा एक हमराही होता।
काश ! कोई साथी होता।
एक अच्छा-सा साथी होता।।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Savitri Rathore on October 8, 2013 at 3:08pm

प्रिय प्राची जी, आपका हृदय से आभार !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 7, 2013 at 8:59pm

मन की भावनाओं की द्विपदियों में अभिव्यक्ति

सही है, कभी कभी भावों को यूं ही लिखा भी जाना चाहिए :)))

शुभकामनाएं 

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:42pm

कुंती जी सराहना हेतु आभार !

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:42pm

अरुण निगम जी आपका आभार !

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:41pm

बहुत- बहुत धन्यवाद अरुण शर्मा जी

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:37pm

आभार संदीप जी !

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:36pm

बहुत- बहुत धन्यवाद डॉ० अनुराग जी !

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:34pm

कपीशचन्द्र जी आपका आभार !

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:33pm

गिरिराज जी सराहना हेतु आभार !

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:32pm

बहुत- बहुत धन्यवाद अभिनव जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service