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ग़ज़ल - सबकी नज़रों में सुनहरी भोर होनी चाहिए

ग़ज़ल –
2122 2122 2122 212

सबकी नज़रों में सुनहरी भोर होनी चाहिए,
रोज कोशिश रोशनी की ओर होनी चाहिए |

आसमां जा कर पतंगें भूल जाती हैं धरा,
आपके हाथों में उनकी डोर होनी चाहिए |

हो ग़ज़ल ऐसी कि, जैसे लुत्फ़ की परतें खुलें,
शाइरी गन्ने की मीठी पोर होनी चाहिए |

इश्क का जज़्बा इबादत से बड़ा हो जाएगा,
शर्त ये है आशिकी पुरजोर होनी चाहिए |

ज्ञान गीता का भले काम आएगा संग्राम में ,
कृष्ण की नज़रें मगर चितचोर होनी चाहिए |


तोड़ सकता है अदब सौ मुश्किलों के भी कवच,
हर कलम पैनी नुकीली ठोर होनी चाहिए |

कोई पश्चाताप की बातें करे तो देखना ,
आँख में उसकी ढलकती लोर होनी चाहिए |

जबकि आँखें बंद होने को हों मेरे रूबरू,
माँ तेरे आँचल की स्वर्णिम कोर होनी चाहिए |

देखना जब भी तो उसकी सीरतों को देखना,
ये न हो सूरत ही उसकी गोर होनी चाहिए |

 

 

* सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by coontee mukerji on October 7, 2013 at 3:29pm

आसमां जा कर पतंगें भूल जाती हैं धरा,
आपके हाथों में उनकी डोर होनी चाहिए |......बहुत खूब
देखना जब भी तो उसकी सीरतों को देखना,
ये न हो सूरत ही उसकी गोर होनी चाहिए |.....वाह!ये हुई न बात.

Comment by annapurna bajpai on October 7, 2013 at 1:34pm

आदरणीय अभिनव जी बहुत बढ़िया गजल हुई है । बधाई आपको । हर अशर कबीले तारीफ है । 


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Comment by अरुण कुमार निगम on October 7, 2013 at 9:11am

आदरणीय अभिनव जी, आपकी गज़लें गुनगुनाने का सुख बयान नहीं कर सकता हूँ. हर अश'आर सीधे मन में अंदर तक उतर जाता है. हृदय से बधाइयाँ.............

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 7:01am

आदरणीय  गीतिका 'वेदिका' जी , प्रेरक उदगार व्यक्त करने के लिए आभारी हूँ आपका , आपको पुस्तक प्रकाशन पर हार्दिक बधाई और सफलता की शुभकामनायें आदरणीया !!

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:59am

श्री अरुन शर्मा 'अनन्त'  जी आपको रचना पसंद आई बहुत ख़ुशी हुई ,स्नेह मिलता रहे यही कामना है !! आभार आपका !!

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:58am

परम  श्रद्धेय श्री  Kapoor साहब आपे आशीर्वाद का सदा अकांक्षी रहता हूँ ..नमन वंदन आपका , सादर !!

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:57am

श्री SANDEEP KUMAR PATEL जी हार्दिक धन्यवाद ग़ज़ल आपको पसंद आई कहना सार्थक हुआ !

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:56am

एक सशक्त कवयित्री के शुभाषीष  बहुत मायने रखते हैं आदरणीया MAHIMA SHREE  जी । बहुत शुक्रिया आपका !

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:54am

डॉ. अनुराग सैनी जी आपको अश'आर भाये कहना सफल हुआ आदरणीय , ह्रदय से नमन करता हूँ !

Comment by वेदिका on October 7, 2013 at 1:27am

अद्भुत गज़ल हुयी, हर भाव से भरी!!

कोई पश्चाताप की बातें करे तो देखना ,
आँख में उसकी ढलकती लोर होनी चाहिए |

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