For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलियाँ [ जीवन ]

जीवन के पथ हैं सरल ,अगर सही हो सोच
जीवन की इस दौड़ में ,आती रहती मोच /
आती रहती मोच ,बैठ कर रुक मत जाना
आगे की लो सोच लक्ष्य जल्दी यदि पाना
अगर सारथी कृष्ण दौड़ते जीवन रथ हैं
यदि हौंसले बुलंद, सरल जीवन के पथ हैं//

..........................

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on October 2, 2013 at 12:31pm

आदरणीया सरिता जी, आप कृपया छंद विधान समूह में सम्बंधित पोस्ट और उसमें दिए उदाहरण देख लें.

सादर!

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:33am

आदरणीय शीज्जू जी शुक्रिया आपको मेरे प्रयास पसंद आ रहे हैं 

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:31am

अरुण ह्रदय से आपकी हमेशा हि आभारी हूँ , आपको अस्वस्थ क्यों किया मेरी रचना ने plz  बताएं  आपको जल्दी स्वस्थ देखना चाहती हूँ 

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:28am

आदरणीय ब्रिजेश जी हार्दिक आभारी हूँ आपकी यथोचित गलतियाँ इंगित करने  से मेरी रचनाओं में हमेशा ही सुधार हुआ है

लेकिन यहाँ तक मैं जानती हूँ कुण्डलिया में जिस शब्द या शब्द-समूह से यह प्रारंभ होता है उसी शब्द या शब्द-समूह से इसका समापन भी किया जाता है  | कृपया अगर मुझे फिर भी गलती लग रही है तो कृपया बता दें ,हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:13am

आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 2, 2013 at 7:38am

आदरणीया सरिता जी निस्संदेह आपकी हर विधाओं में उपस्थिति आपकी मेहनत और सीखने की ललक को दर्शाता है, इस खूबसूरत संदेश देती कुण्डलिया छंद के लिये बधाई स्वीकार करें, और शेष आदरणीय बृजेश जी ने कह ही दिया है

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 1, 2013 at 9:40pm

आदरणीया सरिता जी आपकी इस कुण्डलिया छंद ने मुझे काफी हद तक अस्वस्थ किया है आपका यह प्रयास बहुत पसंद आया कथन और गेयता पर आप ध्यान देने लगी हैं तनिक श्रम की आवश्यकता और है. इस सुन्दर प्रयास पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें .

Comment by बृजेश नीरज on October 1, 2013 at 9:15pm

आदरणीया सरिता जी बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ रची हैं आपने! आपको हार्दिक बधाई!

जहाँ तक मुझे पता है कुंडलियों में एक विशेषता होती है- ये जिस शब्द से प्रारंभ होती है, उसी शब्द से इसका समापन होना चाहिए. इस लिहाज़ से आपकी कुण्डलियाँ 'जीवन' शब्द से समाप्त होनी चाहिए. वैसे आप स्वाम जानकर हैं.

अंतिम पंक्ति में गेयता बाधित है. कृपया इसे देख लें.

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 9:12pm

आदरणीया सरिता जी , बहुत अच्छी कुंडलिया छन्द की रचना की है आपके !!!! बधाई !!!

Comment by Sarita Bhatia on October 1, 2013 at 9:10pm

आदरणीय रविकर sir आपकी उत्साहित टिप्पिनी से मन प्रसन्न हो गया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service