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दिल लगाने की हिमाक़त हो रही

२ १ २ २    २ १ २ २     २ १ २

रुक्न --फ़ाइलातुन ,फ़ाइलातुन,फ़ाइलुन

बह्र --रमल मुसद्दस महजूफ

 

 

पत्थरों से ज्यों मुहब्बत हो रही

गुगुनाने को तबीयत हो रही

 

रोज करते थे  परेशाँ फूल को

आज भँवरों से अदावत हो रही

 

क्यों लुभाते हैं नज़ारे ये मुझे

दिल लगाने की हिमाक़त हो रही

 

घात में बैठे हैं लेकर कैंचियाँ

तितलियों को ये शिकायत हो रही

 

मैं डुबा दूँ नफरतों की कश्तियाँ

होंसलों की बस जरूरत हो रही

 

सब पले  इक ही नदी के दूध से 

भाइयों में क्यों बगावत हो रही

 

यूँ गिराया है मेरा शीशा- ए- दिल

बस बिखरने की गनीमत हो रही

 

उड़ चुकी हैं हसरतों की धज्जियाँ

प्यार की सच्ची कहावत हो रही

 

रहमतों के बोझ से जो झुक गए

बदगुमा उनकी शराफ़त हो रही

 

'राज' रुपये  की कहाँ कीमत बची 

देश भर में ये नसीहत हो रही

******************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 4, 2014 at 10:04pm

जितेन्द्र भैया ,प्रतिक्रिया इतनी देर से देखने का खेद है|आपका तहे दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 4, 2014 at 10:01pm

आ० वीनस जी ,आज अरसे बाद अचानक अपनी इस पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया देखकर रुक गई इतना लेट देखने के लिए खेद है |ग़ज़ल पर आपकी तारीफ पाकर अभिभूत हूँ दिल से बहुत बहुत आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 23, 2013 at 10:39am

आदरणीय शिज्जू शकूर जी बहुत बहुत आभारी हूँ इस और ध्यान आकर्षित करने के लिए सच में दिए तले  अँधेरा वाली बात हो गई ,मैं ओ बी ओ को इसी लिए पसंद करती हूँ की आप जैसे जागरूक पाठक मिलते हैं और अपनी त्रुटिओं का भान होता है तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 23, 2013 at 9:18am

आदरणीया राज दीदी मै मक्ते में तकाबुले रदीफ की बात कर रहा हूँ,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:20pm

आदरणीय शिज्जू   जी   ग़ज़ल  आपको पसंद आई  मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ ,हाँ मक्ते में यदि आपका इशारा राज के नुक्ते से है तो ये मेरा तखल्लुस है इसमें नुक्ता नहीं है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:17pm

प्रिय महिमा श्री   जी   ग़ज़ल  आपको पसंद आई  मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:16pm

प्रिय प्राची जी   ग़ज़ल  आपको पसंद आई ग़ज़ल धन्य हुई इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:15pm

आदरणीया  विजय श्री  जी  ग़ज़ल  आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:14pm

आदरणीय विजय निकोर जी  ग़ज़ल  आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2013 at 11:13pm

प्रिय अरुन शर्मा जी ग़ज़ल  आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली दिल से आभारी हूँ 

कृपया ध्यान दे...

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