For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक शाम

उदास सी थी

निस्तेज , निशब्द , निस्पंदित

निहारती सी

दूर तलक शून्य मे।  

कर्तव्य विहीन, कर्म विहीन

अचेतन जड़ हो गए जो

पुकारती सी

दूर तलक शून्य मे ।

नेपथ्य से कुछ सरसराहट

वैचारिक या मौन

विजयी पर प्रसन्न नहीं

श्रोता सी

दूर तलक शून्य मे ।

अन्तर्मन के क्रंदन को

छिपा मुख मण्डल पर खेलती जो

अलौकिक आभा थी

दूर तलक शून्य मे ............... ।  

 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

 

 

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 1:33pm

आदरणीया अन्नापूर्ण जी , एक अति सुन्दर कृति पर हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by annapurna bajpai on September 26, 2013 at 5:13pm

आदरणीय कुशवाहा जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on September 26, 2013 at 3:48pm

दूर तलक शून्य मे ।

नेपथ्य से कुछ सरसराहट

सुन्दर भाव 

बधाई सादर 

Comment by annapurna bajpai on September 23, 2013 at 12:19am
आ0 वैद्य नाथ जी आभार आपका ।
Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:39pm

बहुत बढ़िया ....सुन्दर भाव सहेजे एक अच्छी कविता ...! बधाई मैडम :)

Comment by annapurna bajpai on September 21, 2013 at 12:18pm

adarniy Neeraj ji apka hardik abhar .

Comment by Neeraj Neer on September 21, 2013 at 11:46am

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना आदरणीय 

Comment by annapurna bajpai on September 18, 2013 at 1:31pm
आपका हार्दिक आभार आ0 प्राची जी ।
Comment by annapurna bajpai on September 18, 2013 at 1:31pm
आपका हार्दिक आभार आ0 प्राची जी ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 17, 2013 at 10:48am

आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेई जी 

इस अभिव्यक्ति में मन ही गहराइयों से सत्य को खोजती जिस निःशब्दता को शब्द मिले हैं.. उसके लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाएँ.. निःसारता से सार की ओर सामंजस्य बैठाती इस अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई 

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
14 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service