For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो देश जहाँ नारी महिमा, सदियों से गायी जाती है

वो देश जहाँ नारी महिमा, सदियों से गायी  जाती है । 

द्रौपदी, गार्गी और सीता, की कथा सुनाई  जाती है ॥ 
.
वो देश जहाँ के संस्कारों की, विश्व दुहाई देता है । 
वो देश जहाँ नारी हित में, तलवार उठाई जाती है ॥
.
उस देश की हालत देख के अब, नैनो से नीर टपकता है । 
अबला की लाज  दिए जैसी, हर शाम जलाई जाती है ॥
.
निष्ठुर, निकृष्ट, निर्लज्ज पुरुष, हर द्वार पे पाए जाते है । 
हर रोज  कोई मासूम कली, काँटों पे सुलाई जाती है ॥
.
जिसका हर रूप नए जीवन की, नयी कहानी गढ़ता है । 
उसके जीवन की कदम-कदम पे, बली  चढ़ाई जाती है ॥
.
एक कोख से लेकर जन्म, दूसरी कोख को डसता है निष्ठुर । 
एक बच्ची जनम से पहले यहाँ, सौ बार गिराई जाती है ॥
.
अब और नहीं लिख सकता कुछ, धमनी में रक्त उबलता है । 
वो पीर है दिल में वीर, की अब न कलम चलायी जाती है ॥ 
.
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 10, 2013 at 9:14pm

आदरणीय विजय मिश्र जी ... ये रचना स्वतः ही मेरे मन मस्तिष्क हृदय या यूँ कहें की रग रग में आ गयी .... मै  खुद देश के बहार हूँ पर आये दिन ये सब समाचार सुनके मै  विचलित हो जाता था .... कई दोष हैं इस रचना में पर मैंने सिर्फ अपनी भावाभियक्ति की है ..... आपका आभारी हूँ आपको ये रचना पसंद आई ... बहुत शुक्रिया 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2013 at 8:21pm
अब और नहीं लिख सकता कुछ, धमनी में रक्त उबलता है । 
वो पीर है दिल में वीर, की अब न कलम चलायी जाती है ॥ 
भाव पूर्ण, सत्य पर आधारित रचना 
Comment by विजय मिश्र on September 10, 2013 at 6:49pm
अनिलजी ! संस्कारों के ढहते इस भीत पर आपने करारा चोट करने का प्रयास किया है , इस किंकर्तव्यविमूढ सी दुसह परिस्थितियों में आप जैसे सभी सद्विचारी लोगों की आत्मा इसीप्रकार कचोटती है .सभ्य समाज आकुल है और विवश भी |साधुवाद इस जागृत रचना केलिए |
Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 10, 2013 at 4:32pm

आदरणीय vijayashree जी बहुत बहुत शुक्रिया .... 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 10, 2013 at 4:32pm

आदरणीय बसंत नेमा जी बहुत बहुत शुक्रिया .... 

Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 3:42pm
जिसका हर रूप नए जीवन की, नयी कहानी गढ़ता है । 
उसके जीवन की कदम-कदम पे, बली  चढ़ाई जाती है ॥
अब और नहीं लिख सकता कुछ, धमनी में रक्त उबलता है । 
वो पीर है दिल में वीर, की अब न कलम चलायी जाती है ॥ 
मार्मिक अभिव्यक्ति अनिल चौहान जी 
हार्दिक बधाई 
Comment by बसंत नेमा on September 10, 2013 at 12:43pm

सुन्दर अति सुन्दर ... सुन्दर अभिव्यक्ति सुन्दर भाव ...बधाई 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 10, 2013 at 12:36pm

आदरणीय रविकर जी बहुत बहुत शुक्रिया मै  आगे से ध्यान रखूँगा 

Comment by रविकर on September 10, 2013 at 11:04am

मार्मिक-
आभार
कहीं कहीं प्रवाह बाधित हैं-
कोशिश करें-
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
yesterday
Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service