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गुरु चरणों में समर्पित दोहावली........ डॉ० प्राची

सद्गुरु मणि अनमोल है, जीवन दे चमकाय 

पारस तो कुंदन करे, गुरु पारस कर जाय //१//

गुरु बंधन से मुक्त कर, ब्रह्म मार्ग दिखलाय

छद्म समझिए रूप वह, जो बंधन जकड़ाय //२//

गुरु की कृपा अनंत है, गुरु का प्रेम अथाह 

श्रद्धानत जो मन हुआ, तद्क्षण पाई राह //३// 

भटका गुरु-गुरु खोजता, गुरु मिलया नहिं कोय 

ज्ञान पिपासा जब जगी, प्रकट स्वतः गुरु होय //४//

गुरु का आदि न अंत है, गुरु नहिं केवल गात्र 

एक अनश्वर सत्व है, पाए बस सद्पात्र //५//

मौलिक और अप्रकाशित 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 5, 2013 at 8:59pm

धन्यवाद प्रिय राम शिरोमणि जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 5, 2013 at 8:58pm

आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेई जी 

दोहावली के भावों को आत्मसात कर प्रतिक्रया टिप्पणी के लिए आभार..

गुरु की अपनी कोई सत्ता ही नहीं , यदि कोई शिष्य नहीं तो गुरु भी नहीं... अतः सद्गुरु वहीं होता है जहाँ सद्पात्र शिष्य होता है.. और यहाँ मंच पर तो हम सभी एक दूसरे से सीख रहे हैं, निरंतर.

 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 5, 2013 at 8:54pm

आदरणीया वन्दना जी

निस्संदेह सद्गुरु के प्रति अगाध श्रद्धा ही ज्ञान प्राप्ति को सहज बनाती है.. 

दोहावली पर आपके अनुमोदन के लिए आभारी हूँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 5, 2013 at 8:52pm

धन्यवाद आ० श्याम नारायण वर्मा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 5, 2013 at 8:51pm

हार्दिक आभार आ० गिरिराज भंडारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 5, 2013 at 8:50pm

आदरणीय आशुतोष जी 

आपको दोहावली के भाव पसंद आये यह जान उत्साहवर्धन मिला है..

//चमकाय जाय दिखलाय जकड़ाय कोय होय ये शब्द अवधी के हैं इसलिए खड़ी बोली के साथ प्रयोग दोषपूर्ण माना जाता है//... आदरणीय इस तथ्य को साँझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद! 

सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 5, 2013 at 8:38pm

गुरु बंधन से मुक्त कर, ब्रह्म मार्ग दिखलाय

छद्म समझिए रूप वह, जो बंधन जकड़ाय //२//........सच! मानव जीवन में गुरु ही ज्ञान का मार्ग दिख लाते है

बहुत सुंदर दोहावली , बधाई स्वीकारें , शिक्षक दिवस की शुभकामनायें आपको आदरणीया डा. प्राची जी

Comment by बृजेश नीरज on September 5, 2013 at 8:36pm

बहुत सुंदर! अच्छे दोहे! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 5, 2013 at 8:29pm

आ0 प्राची मैम जी,   सादर प्रणाम!    वाह!  बहुत सुन्दर दोहे।  शिक्षक दिवस पर एक सच्ची गुरू दक्षिणा।   आपको बहुत बहुत शुभकामनाओं  सहित हार्दिक बधाई।   सादर,  

Comment by ram shiromani pathak on September 5, 2013 at 8:25pm

गुरु की कृपा अनंत है, गुरु का प्रेम अथाह 

श्रद्धानत जो मन हुआ, तद्क्षण पाई राह //३//  उत्कृष्ट दोहा 

बहुत ही सुन्दर दोहे आदरणीया प्राची जी ///हार्दिक बधाई आपको 

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