Comment
Hamare aaj ke samaj ke katu yatharth yahi hai. Bahut hi satik rachna.
वाह वाह संजीव जी, यक़ीनन सोचना जरूरी है, आज कल की परिस्थितियों का सटीक चित्रण करती एक बेहतरीन काव्यकृति |बाजारवाद और पूजीवाद हावी है हमारे समाज पर, लडकिया भी छडिक सफलता के लिये सब कुछ दाव पर लगाने को तैयार होती है जिसका परिणति है दैहिक शोषण |
बहरहाल इस शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार कीजिये |
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