For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इलाज का इन्तजार आज भी है ,,,,


मुझे मालूम था,
उसे पा न सकूँगा,
उसे न पाने की कसक,
दिल में आज भी है ,,,
जमाना गुजर गया,,,,
पीढियां बदल गयी,
मुहाबत की गलियों में,
दिल बेकरार आज भी है,,,,,
मेरी तनहा ज़िन्दगी,
उनकी तनहा यादें,
सदियों की रुसवाई में,
दिल रुखसार आज भी है,,,
दिल नादाँ था बेवकूफ नहीं ,,
हार बैठा काँटों के झंझावतों में,
बचने का आसरा ही नहीं,
मगर दूर दरिया के पार,,
दिखती पतवार आज भी है,,,,,
मुझे उनकी सादगी पसंद थी,,
उन्हें मेरी बंदगी पसंद थी,,
इस दिल के मरीज को,
इलाज का इन्तजार आज भी है ,,,,,,,
जमाना गुजर गया,,,,
पीढियां बदल गयी,
मुहाबत की गलियों में,
दिल बेकरार आज भी है,,,,,
मेरी तनहा ज़िन्दगी,
उनकी तनहा यादें,
सदियों की रुसवाई में,
दिल रुखसार आज भी है,,,
दिल नादाँ था बेवकूफ नहीं ,,
हार बैठा काँटों के झंझावतों में,
बचने का आसरा ही नहीं,
मगर दूर दरिया के पार,,
दिखती पतवार आज भी है,,,,,
मुझे उनकी सादगी पसंद थी,,
उन्हें मेरी बंदगी पसंद थी,,
इस दिल के मरीज को,
इलाज का इन्तजार आज भी है ,,,,,,,

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on December 8, 2010 at 11:48pm
मुझे उनकी सादगी पसंद थी,,
उन्हें मेरी बंदगी पसंद थी,,
इस दिल के मरीज को,
इलाज का इन्तजार आज भी है ,,,,,,,
Tags: bahut khoobsurat ... kuchh hatke

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:13pm
बहुत सुन्दर....इंतजार का अपना अलग ही मज़ा है|
Comment by Rash Bihari Ravi on March 22, 2010 at 5:21pm
मुझे उनकी सादगी पसंद थी,,
उन्हें मेरी बंदगी पसंद थी,,
इस दिल के मरीज को,
इलाज का इन्तजार आज भी है ,,,,,,,
bah ka bat ba jai ho,
Comment by Babita Gupta on March 22, 2010 at 3:33pm
Bahut nik likhaley hai rauwa, aisahi kuch aur bhi likhi.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 22, 2010 at 10:02am
मुझे मालूम था,
उसे पा न सकूँगा,
उसे न पाने की कसक,
दिल में आज भी है ,,,

क्या बात है अभिषेक भाई, बहुत बढ़िया कविता लिखे है, ये मोती सब दिल के किस कोने मे सम्भाल के रखे है जी, आप तो बहुत ही सुन्दर लिख रहे है, उम्मीद है कि आगे भी इस तरह कि रचना पढ़ने को मिलती रहेगी, धन्यबाद ।
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on March 21, 2010 at 10:27pm
bahut acchi rachna hai abhishek jee....dil khush ho gaya aapka ye rachna padh ke...

aapka ye pahla blog aur ekdam behtarin hai......shaandaar hai ekdam se....
bahut bahut dhanyabaad yahan post karne ke liye....
Comment by Admin on March 21, 2010 at 10:22pm
अभिषेक जी आपने बहुत ही खुबसुरत रचना यहा पर पोस्ट किया है, आपने अपनी भावनाओ को बहुत ही सलिके से सजाया है, आपका पहला और बेहतरिन ब्लाग के लिए धन्यबाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
4 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
35 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
40 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
47 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service