For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खट- खट की आवाज सुनकर गली के कुत्ते भौंकने लगे। चोर कुछ देर शांत हो गये। थोड़ी देर बाद फिर से खोदने लगे। कुत्ते फिर भौंकने लगे।

चोरों ने डंडा मारकर कुत्तों को भगाना चाहा, लेकिन कुत्ते निकले निरा ढीठ, वे और तेज भौंकने लगे। लाल मोहन ही क्या अब तो सारा मुहल्ला जाग चुका था । लेकिन किसी ने अपने बिस्तर से उठकर बाहर यह पता करने की ज़हमत नहीं उठायी कि कुत्ते भौंक क्यों रहे थे ।

सुबह-सुबह पूरे मुहल्ले में यह ख़बर आग बनी थी, लाल मोहन लुट चुका है।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 882

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on February 5, 2015 at 1:37pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी सुन्दर ,संदेशप्रद रचना , हार्दिक बधाई आपको !

Comment by वीनस केसरी on September 2, 2013 at 4:05am

पूर्व के टिप्पणियों से सहमत हूँ पहला वाक्य भर्ती का है

भाई आपकी कथा से स्पष्ट है कि लाल मोहन भी जाग गया था ...
अगर लाल मोहन के साथ कुछ और संज्ञाएं सपरिवार जोड़ी होती और अंत में संवाद यूँ होता तो अधिक चोट पड़ती

सुबह लाल मोहन को पता चला कि वह लुट चुका है ...

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 1, 2013 at 12:07pm

सटीक लघुकथा आदरणीय कई बार चेतावनी हमें सचेत कर रही होती है किन्तु हम आलस कर जाते हैं. बधाई भाई जी इस लघुकथा पर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2013 at 11:31am

कर्तव्य बोध का एहसास कराती सार्थक लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई श्री विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जी 

Comment by vandana on September 1, 2013 at 6:33am

अपने आराम को छोड़कर कौन देखे कि पड़ोस में क्या हो रहा है ....सही दशा का चित्रण किया है 

Comment by vijayashree on September 1, 2013 at 12:03am

इंसान आज कितना आत्मकेंद्रित हो गया है ." मैं और मेरे " के अतिरिक्त उसे कुछ सूझता ही नहीं है 

न जाने अपनी किस धुन को पूरा करने में व्यस्त है . न उसे किसी अपने की चिंता है न ही किसी आस पास वाले की 

'कर्तव्यबोध ' के माध्यम से आपने इसी मनोव्यथा का बखूब चित्रण किया है 

बधाई स्वीकारें विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जी 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2013 at 6:04pm
आदरणीय शुभ्रांशु जी! सर्वप्रथम तो आपसे शिकायत करूँगा- मैं आपका अनुज हूँ, मुझे अपना प्रेम दीजिये, आदर मैं आपका करूँगा। हाँ नहीं तो।

आपने लघुकथा के अहम पात्र कुत्ते को सही पहचाना, असल कर्तव्यबोध उसी का है। वह पहले भी भौंकता था आज भी भौंक रहा है, लेकिन एक सामाजिक और बौद्धिक प्राणी होने के बावजूद हम सामाजिकता और बौद्धिकता दोनों खोते जा रहे हैं। हमारे भीतर, अपने कर्तव्य का बोध लुप्त हो गया है। आदरणीय रचना के मूल कथन को आपने सराहा, अनुज आपका आभारी है।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2013 at 5:53pm
भाई जीतेन्द्र जी! रचना की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2013 at 5:51pm
आदरणीया प्राची दीदी! आपने अनुज के लघु प्रयास को अपना आशीर्वाद प्रदान किया, मैं कृतकृत्य हुँ।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2013 at 5:50pm
आदरणीया शुभ्रा जी! आपने लघुकथा को सराहा अनुज आपका आभारी है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service