For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! कुण्डलियां !!!

पत्थर जन मन धन चुने, जाति-पाति के संग।
इनके माथे पर लिखा, कामी-मत्सर-जंग।।
कामी - मत्सर - जंग, द्वेष का भाव बढ़ाते।
ढाई  आखर  छोड़,  धर्म  पर  रार  मचाते।।
निश-दिन करे कुकर्म, आड़ हो जन्तर-मन्तर।
बने  स्वयंभू  राम,  कर्म  का  डूबे  पत्थर।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 744

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 30, 2013 at 4:27pm

केवल भाई , सुन्दर कुन्डलिया , बधाई !!

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 3:47pm

कामी-मत्‍सर -जंग - इसमें जंग का अर्थ नहीं लगा पाया बाकी सुंदर लिखा है आपने, सादर

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 29, 2013 at 9:48pm

केवल जी, अच्छी कुण्डली हैं

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 8:41pm

आ0 रविकर भाई जी,    आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 8:41pm

आ0 जवाहर भाई जी,    आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by रविकर on August 29, 2013 at 8:10pm

बढ़िया भाव-
सुगढ़ कुण्डलियाँ-
आभार आदरणीय केवल जी-

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 29, 2013 at 7:11pm

बहुत सुन्दर!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 6:34pm

आ0 विजय सर जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 6:33pm

आ0 श्याम नारायण भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by विजय मिश्र on August 29, 2013 at 6:23pm
अतिसुन्दर केवल भाई ,बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service