For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"क्या ये खबर सही है कि एकाध दिन में दंगे शुरू होने वाले हैं ?"
"बिलकुल सही सुना भाई, खबर एकदम पक्की है." 
"तो फिर क्या प्रोग्राम बनाया ?"
"सोच रहा हूँ कि इस दफा उनकी पार्टी में शामिल हो जाऊं."

"अबे तेरा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया ? बेगानों का साथ देकर अपनों से गद्दारी करेगा? 
"वो साले बेगाने ज़रूर हैं, लेकिन दिहाड़ी भी तो डबल देते हैं."

Views: 806

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on August 27, 2013 at 11:38pm

वाह!!! आदरणीय योगराज सर .. बहुत ही कमाल का गठन .. इंसानी   फितरत  का भयानक पक्ष बहुत ही शानदार ढंग से व्यक्त हुआ है ....बहुत -२ हार्दिक बधाई ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 27, 2013 at 9:31pm

आदरणीय सर,

इस लघुकथा का गठन देख कर दंग हूँ..

बिना किसी पात्र का नाम लिए , इतनी कसावट के साथ एक जलता हुआ सत्य प्रस्तुत किया है.. आपके इस लेखन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई 

सादर.

Comment by विजय मिश्र on August 27, 2013 at 5:11pm
पैसा जब से जिंदगी जीने का पैमाना बना है ,इंसान का अन्दाज बदल गया है . कोई कपड़े उतारने को आतुर है तो कोई खून बहाने को .पैसे का दम इंसानियत को बहुत कारगुजारी से बेदम किये जा रहा है .वाह रे पैसा !
Comment by aman kumar on August 27, 2013 at 4:45pm

अति सुंदर , मानव मानसिकता के अच्छे चितेरे है आप 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 27, 2013 at 1:08pm

किसके बारे में पहले सोचें देश,पेट या धर्म?? और गद्दारी किससे हो रही है ?? ढेर सारे अनुत्तरित प्रश्न हैं,
आदरणीय योगराज सर, इस बेहतरीन रचना के लिये दाद कुबूल करें, कम शब्दों में आपने इस मुद्दे की वृहत व्याख्या की है

Comment by Vasundhara pandey on August 27, 2013 at 8:07am

आदरणीय प्रभाकर जी ..कितनी खूबसूरती से कम शब्दों में इतनी जबरदस्त लघु कथा को पिरो दिये ...नतमस्तक हूँ...

Comment by vandana on August 27, 2013 at 7:30am

आदरणीय प्रभाकर सर

एक सशक्त लघुकथा ....वास्तविकता को चित्रित करती हुई बहुत बहुत बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on August 26, 2013 at 9:59pm

वाह! बहुत खूब! बहुत ही सशक्त लघुकथा! आदरणीय मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
सादर!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 8:54pm

आ0 प्रभाकर सर जी,  वाह! वाह!  बेहतरीन प्रस्तुति। एक सार्थक सोच...पैसे ने सभी को अंधा, पगला और कुण्ठापूर्ण जीवन जीने के लिए विवश कर दिया है।। बस!...पैसा चाहिए...?  हृदयतल से बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by Shubhranshu Pandey on August 26, 2013 at 8:19pm

आदरणीय योगराजभाई जी, आज के समय में दंगा दंगा खेलने वालों की कमी नहीं है....एक और सच्चाई, जिसे हम देख कर भी अनदेखा करते हैं. यह भूल नहीं अपराध है. ..

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
16 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service