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ठीक है फैसला ,
जीवन और मृत्यु सा था ।
चुनाव भी तो तुम्हारा अपना था।
फैसला तुम्हारा खुद का था,  
तो, उदासी क्योँ ?
खुद का लिया फैसला, 
कभी भी खुद को तो उदास नही करता ।
अगर बगैर किसी दबाव या मज़बूरी से लिया जाय ।
हां, दूसरे उदास , परेशान हो सकते है ,
तुम्हारे फैसले से ।
फिर क्यों उदास हो ?
क्या तुम खुद को नही जानते ?
नही पहचानते ?
हां,ये हो भी सकता है,या
ये  ही होगा निश्चित !
क्यों कि ,
हम अपनी पूरी ऊर्जा,
पूरी शक्ति, पूरी समझ,पूरा समय
दूसरों को जानने मे लगाये हुये हैं ।
खुद को कभी जान ही नही पाये ।
खुद से नितांत अनजान ! 
क्या फैसला करेगा !!
खुद के लिये !!!
और करेगा भी तो कितना सही होगा
कौन जाने ?    

*************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
 

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2013 at 10:37pm

जिंतेन्द्र भाई , आपका बहुत बहुत आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2013 at 10:36pm

सुलभ भाई , आपका अभार !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 19, 2013 at 9:10pm

सुंदर रचना प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज जी

Comment by Sulabh Agnihotri on August 19, 2013 at 5:16pm

बहुत सुंदर है भंडारी जी !

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