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धूप का टुकड़ा.....

दरख़्तों से छुपा-छुपी खेलता हुआ

वो तीखी धूप का एक टुकड़ा

मेरे कमरे तक आने को बेचैन

हवा ज्यों तेज़ हो जाती

वो ताक कर मुझे

वापस लौट जाता

इतना रौशन है वो आज कि

उसके ताकने भर से

अँधेरे से बंद कमरे की

आंखें उसकी चमक से

तुरन्त खुल जाती हैं

बहुत नींद में रहता है कमरा

आंखें मिचमिचाता है

कुछ देर तक यूँही देख

फिर आँखें बंद कर लेता है

हम्म ....मुझे लग रहा है

आज धूप का ये टुकड़ा

बारिश के बाद नहाया हुआ

मस्ती में है इसलिए

खेल रहा है शायद

खेलते रहो....तुम दोनों

मैं भी देखूं

कौन मारता है बाज़ी ....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)


....प्रियंका ''पियू ''

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Comment

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Comment by Priyanka singh on August 26, 2013 at 3:51pm

आदरणीय सौरभ सर प्रशंसा हेतु आपका बहुत बहुत आभार .....जी बिलकुल प्रयासरत हूँ .....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 24, 2013 at 11:58pm

आपका प्रयास अच्छा लगा प्रियंकाजी. धूप के टुकड़े का मानवीयकरण और उसका अपने यथार्थ का हिस्सा बनाना रोमांचित कर गया. भावनाओं को संयत करना और प्रयास मांगता है.

शुभेच्छाएँ

Comment by Priyanka singh on August 15, 2013 at 7:15pm

महिमा जी पसंदगी का दिली शुक्रिया .....

Comment by Priyanka singh on August 15, 2013 at 7:14pm

आशुतोष सर बहुत बहुत धन्यवाद आपका .....

Comment by MAHIMA SHREE on August 15, 2013 at 11:59am

बहुत नींद में रहता है कमरा

आंखें मिचमिचाता है

कुछ देर तक यूँही देख

फिर आँखें बंद कर लेता है

हम्म ....मुझे लग रहा है

आज धूप का ये टुकड़ा

बारिश के बाद नहाया हुआ

मस्ती में है इसलिए

खेल रहा है शायद

खेलते रहो....तुम दोनों

मैं भी देखूं

कौन मारता है बाज़ी ...बहुत ही सुंदर .प्रस्तुति आ. प्रियंका जी ...हार्दिक बधाई आपको

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 7:52am

महसूस करने वाली रचना .. बेहतरीन शब्द चित्र ..सादर बधाई के साथ 

Comment by Priyanka singh on August 15, 2013 at 12:43am

आदरणीय डॉ. प्राची जी, आपकी सराहना से मेरे आत्मविश्वास को एक विशेष बल मिला...हृदय की गहराइयों से आपको धन्यवाद... आपका ये स्नेह सदैव यथावत रहे....यहीं मेरी कामना है.....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2013 at 10:57pm

ताजगी भरी बहुत खूबसूरत रचना....

सुन्दर कल्पना..और बहुत सुन्दर शब्द चित्र 

बहुत बहुत बधाई आ० प्रियंका सिंह जी 

Comment by Priyanka singh on August 14, 2013 at 10:40pm

वंदना जी बहुत बहुत आभार आपका ....

Comment by Priyanka singh on August 14, 2013 at 10:39pm

आदरणीय शराबिन्दु जी, स्रराहना हेतु हृदय से आभार......!!!!

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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