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आप जब से मेरी जिन्दगी हो गई ।

आप जब से मेरी जिन्दगी हो गई ।

 

आप जब से मेरी जिन्दगी हो गई ।

सारी दुनिया से मेरी दुश्मनी हो गयी ॥

आप को जो हमराज मै कह गया ।

तो दोस्तो से मेरी दुश्मनी हो गयी ॥  1 ॥

 

नूर चेहरे का तेरे चाँदनी दे गया ।

देख कर चाँद भी तुझको शरमा गया ।

जो चाँद पूनम का मै तुम्हे कह गया ।

तो चाँद से भी मेरी दुशमनी हो गयी  ॥   2 ॥

शायरो की शहर मे कल महफिल सजी ।

सबने अपनी मुक्कमल गजल थी पढी ।।  

जो मै तुम को अपनी गजल कह गया ।

तो शायरो से मेरी दुशमनी हो गयी   ।। 3 ॥

आप कल बाग मे जो गये घूमने ।

सारे भँवरे लगे आप को घूरने ।।

तेरे होंठो को जो मै कली कह गया ।

तो फूलो से मेरी दुशमनी हो गयी  ।।  4 ।।

कल जुल्फे जो तूने खुली छोड दी ।

रात दिन मे ही जैसे होने लगी ॥

तेरी जुल्फो को जो, काली घटा कह गया ।

तो बादलो से मेरी दुश्मनी हो गयी  ।। 5 ॥

आंखे तेरी छ्लकते दो पयमाने हुये ।                                                                

बिन पिये ही तेरे हम दिवाने हुये ।।

मै जो बोतल नशे की  तुझे कह गया ।

तो शराबी से मेरी दुशमनी हो गयी  ॥ 6 ॥

 

आप हमको मिले हर खुशी मिल गयी ।

जिन्दगी भी मेरी अब हँसी हो गयी ।

जो आप को हमने अपना खुदा कह दिया ।

तो खुदा से मेरी दुश्मनी हो गयी ।। 7 ।।

"मौलिक व अप्रकाशित"    

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Comment by Meena Pathak on August 6, 2013 at 1:04pm

क्या बात है ... दुश्मनी से भरपूर रचना  :) बधाई 

Comment by वेदिका on August 6, 2013 at 1:00pm

सबको दुश्मन बना लिया आपने,, :))

बढ़िया रचना, एक बात आई है मेरे मन में कहे देती हूँ, पांचवे बंद में शराबी से दुश्मनी का कोई तुक नही दीखता मुझे, अलबत्ता आप चाहें तो शराब से दुश्मनी करके अपने उस प्रिय दोस्त को जरुर खुशी डे सकते है, जिससे आपने सारी दुनिया से दुश्मनी मोल ले ली है      

दुश्मनी से भरपूर रचना पर बधाई आदरणीय बसंत नेमा जी  !!

Comment by Vasundhara pandey on August 6, 2013 at 12:57pm

बहुत सुन्दर...!!

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