For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर कोई आग बुन

क्यों बुझा- बुझा सा है,फिर कोई आग बुन

छेड़ कर सुरों के तार ,फिर कोई राग चुन ।

 

गहन अँधेरी रात में.भोर कीआवाज़  सुन

नींद से जाग जरा,फिर कोई ख्वाब बुन ।

 

मन की हार, हार है,हार में भी जीत ढ़ूँढ़

हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन ।

 

वक्त रुकता नहीं कभी,वक्त की पुकार सुन

भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन ।

********

महेश्वरी कनेरी /मौलिक व अप्रकाशित रचना

Views: 544

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Maheshwari Kaneri on December 16, 2013 at 10:05pm

सभी मित्र बंधुओ का आभार..

Comment by D P Mathur on August 3, 2013 at 10:24am

मन की हार, हार है,हार में भी जीत ढ़ूँढ़

हौंसला बुलंद कर ,फिर कोई आकाश चुन ।

आदरणीया सुन्दर पंक्तियों की प्रस्तुति के लिए बधाई !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 31, 2013 at 10:11am

आदरणीय महेश्वरी कनेरी जी,

ज़िंदगी की राह में चलने , आगे बढने के सकारात्मक चिंतन को शब्द देती अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 27, 2013 at 9:07pm

वक्त रुका नहीं कभी,समय की पुकार सुन

भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन ।..............आदरणीया महेश्वरी जी , खूब सूरत पंक्ति ....हार्दिक बधाई 

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 1:18am

सुन्दर सीख देती हुई अच्छी रचना है

Comment by Lata tejeswar on July 26, 2013 at 1:02pm

गहन अँधेरी रात में.भोर का आभास सुन

नींद से जाग जरा,फिर कोई ख्वाब बुन ।

बहुत सुन्दर

Comment by वेदिका on July 26, 2013 at 12:35pm

बहुत बढ़िया, सकारात्मकता भरी रचना पर बहुत बधाई!! 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 25, 2013 at 6:19pm

वक्त रुका नहीं कभी,समय की पुकार सुन

भूल जा कल की बात ,फिर कोई आज बुन । ---वाह ! सुन्दर सन्देश तेती प्रस्तुति के लिए बधाई आदरणीया महेश्वरी जी 

Comment by annapurna bajpai on July 25, 2013 at 5:34pm

adarniya apko hardik badhai is anupam rachna ke liye .

Comment by Shyam Narain Verma on July 25, 2013 at 3:11pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service