For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐसे ही बनेगा सशक्त समाज

भारत जैसे विशाल देश का समाज भी उतना ही बड़ा है। ऐसे में हर किसी का दायित्व बनता है कि वे स्वच्छ समाज के निर्माण में सकारात्मक योगदान दें। देखा जाए तो आधुनिक समाज में कई तरह की अपसंस्कृति हावी हो गई है, इन्हीं में से एक है, नशाखोरी। यह बात आए दिन कई रिपोर्टों से सामने आती रहती है कि नशाखोरी से व्यक्ति और समाज को किस तरह नुकसान है। बावजूद, लोग अपसंस्कृति के दिखावे में ऐसे कृत्य कर जाते हैं, जिससे समाज शर्मसार तो होता ही है, खुद उस व्यक्ति का भी भविष्य दांव पर लग जाता है। नशाखोरी की प्रवृत्ति के कारण समाज में शांति कायम करने मुश्किलें किस तरह उत्पन्न होती हैं, यह किसी से छिपी नहीं हैं। विचारणीय बात यह है कि शिक्षा के अभाव में कुछ ऐसे बच्चे भी नशाखोरी के आदी हो जाते हैं, जो जिंदगी की अहमियत के बारे में कुछ जानते तक नहीं है। इस तरह के हालात में सशक्त समाज के लिए हाल के दो अनुकरणीय निर्णय तथा प्रयास महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं। एक नाम क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेन्दुलकर हैं, तो दूसरे नाम हैं, विप्रो कंपनी के प्रमुख बेंगलूर के अजीम प्रेमजी।
हाल ही में सचिन तेन्दुलकर ने एक शराब कंपनी के लिए विज्ञापन करने से इंकार कर दिया, जबकि उन्हें इस करार से साल भर में 20 करोड़ रूपये मिलने वाले थे। समाज हित में लिए गए उनके इस निर्णय को काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है, क्योंकि वे आज अधिकांश युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं और उनकी इस सकारात्मक सोच से समाज में बढ़ रही इस कुुरीति से दूर रहने, सबक के तौर पर लिया जा सकता है। सचिन तेन्दूलकर की ओर से मीडिया में जो बयान आया है, उसके अनुसार- उन्होंने अपने पिता से यह बातें कहीं थीं कि चाहे उन्हें विज्ञापन के लिए कितनी भी रकम मिले, लेकिन वे समाज के अहित में होने वाले कुप्रभावों के पक्ष में कोई भी विज्ञापन नहीं करेंगे। वैसे इस बात का कभी खुलासा नहीं हुआ था कि वे किसी शराब कंपनी का विज्ञापन नहीं करेंगे, लेकिन जब उन्हें पहली बार इस तरह का ऑफर मिला तो सचिन तेन्दुलकर ने शराब से समाज को होने वाले नुकसान के कारण ऐसे विज्ञापन से किनारा कर लिया। यह बात सही है कि कई नामचीन शख्सीयत हैं, जो शराब का विज्ञापन कर रहे हैं और उन्हें इसके एवज में करोड़ों रूपये भी मिल रहे हैं, मगर उन जैसों को क्रिकेट के क्षेत्र में दुनिया में परचम लहराने वाले महान सचिन से कुछ सीखने की जरूरत है, उन्होंने इस तरह निर्णय लेकर एक मिसाल ही पेश की हैं। कुछ बरस पहले जब सचिन का खराब दौर चल रहा था, उस दौरान कईयों ने यह कहा था कि सचिन तेन्दुलकर का ध्यान केवल विज्ञापन पर है, न कि खेल पर है। हालांकि उन्होंने उस हालात से उबककर भारत के लिए ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए, जिसके किनारे दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं देता। आज की स्थिति में देखें तो उन लोगों की जुबान पर जरूर ताला लग गया होगा, जो कभी सचिन जैसे महान खिलाड़ी को लेकर कटाक्ष किए करते थे। देश और समाज हित में आज सचिन तेन्दुलकर द्वारा जिस तरह निर्णय लिया गया है, वह आने वाली पीढ़ी के लिए भी काफी मायने रखेगा, क्योंकि आज के लाखों युवा इस कुप्रवृत्ति के जाल पर फंस चुके हैं। सचिन के इस प्रयास को निश्चित ही सशक्त समाज निर्माण में सार्थक माना जा सकता है।
एक ओर जहां सामाजिक क्षेत्र में क्रिकेट के साथ सचिन तेन्दुलकर ने महानता का परिचय दिए हैं, कुछ ऐसे ही समाज हित में कार्य किए हैं, बेंगलूर के आईटी क्षेत्र के दिग्गज जाने माने वाले विप्रो कंपनी के मालिक अजीम प्रेमजी। उन्होंने बिना किसी स्वार्थ के अपनी दौलत में से करीब 88 सौ करोड़ रूपये एक ट्रस्ट को दिया है, जो काबिले तारीफ है। ऐसा कम देखने को मिलता है, जब कोई बड़ा उद्योगपति अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा परोपकार के लिए दें और लोगों के दुख-दर्द में सहभागी बनें। समाजसेवी अजीम प्रेमजी का परोपकार की सोच, आज के आधुनिक समाज, जहां किसी को दूसरे के बारे में सोचने की फुर्सत नहीं है, के लिए बड़ी मिसाल है, जिससे अन्य उद्योगपतियों के बीच एक ऐसा संदेश गया है कि वे भी कुछ इसी तरह कार्य कर समाज के प्रति अपना दायित्व प्रदर्शित करें।
अधिकतर यह देखा जाता है कि रकम हाथ में होने के बाद उसके प्रति व्यक्ति का मोह कायम हो जाता है, साथ ही वह अपनी सौ-दो सौ पीढ़ी के बारे में सोचने लगता है। ऐसे में यह भी समझने की जरूरत रहनी चाहिए कि हम अपनी पीढ़ी को निकम्मी बनाने की कोशिश करते हैं। यहां एक बात बताना जरूरी है कि अमेरिका के माइक्रोसाफ्ट कंपनी के मालिक बिल गेट्स एक अरसे से दुनिया के उद्योगपतियों के बीच यह अभियान चला रहे हैं कि उद्योगपति अपनी दौलत परोपकार में भी लगाएं, जिससे समाजसेवा के प्रति उनकी समर्पण की भावना सीधे लोगों से जुड़ सकें। कुल-मिलाकर यही कहा जा सकता है कि कुछ लोग समाजसेवा के नाम पर अस्पतालों तथा आश्रमों में फल व कपड़ा बांटकर वाह-वाही लुटने की कोशिश करते हैं, उनके लिए यह सबक है। ऐसा नहीं है कि परोपकार के लिए अधिक राशि चाहिए, कम राशि होने के बाद भी लोगों के बीच समाजसेवा किया जा सकता है, लेकिन उसमें किसी तरह का दिखावा नहीं होना चाहिए।
निश्चित ही ऐसे व्यक्तित्व भारतीय समाज और देश के लिए गौरव की बात हैं, क्योंकि जिस देश में आज की स्थिति में जहां भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हो गई हों और धनपुरूशों में पैसा बटोरने का ऐसा बुखार चढ़ गया है, जिससे गरीब जनता पीस रही है। देश के धन को विदेशी बैंकों में जमा कर, उसे काला धन बनाने का जो कुत्सित प्रयास बरसों से जारी है, ऐसे में लोगों को इनकी परोपकारी भावना से रूबरू होना चाहिए। इनकी सोच सशक्त समाज के लिए बहुत हितकारी है।

राजकुमार साहू
लेखक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा - 098934-94714

Views: 240

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
15 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service