For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

सार छंद / ललित छंद [प्रथम प्रयास]

छन्न पकैया छन्न पकैया के स्थान पर 

गुरु  का आओ सम्मान करें 

....................................................

गुरु का आओ सम्मान करें , 'गुरु' मतलब समझाएं
'गु' से होता अज्ञान तिमिर का, 'रु' से उसको हटाएँ

गुरु का आओ सम्मान करें ,गुरु पूर्णिमा आई
अज्ञान तिमिर का जो हर रहे ,सबके मन का भाई

गुरु का आओ सम्मान करें, अँधेरा दूर हटाएँ
गुरु दक्षिणा आज उसे देवें, ज्ञान प्रकाश बढ़ाएं

गुरु का आओ सम्मान करें, अत्याचार हटाएँ
वेद पुराणों का ज्ञान दिया, व्यास जयंति मनाएं

              ........................

             मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1112

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on July 23, 2013 at 9:17pm

गुरु के सम्मान में अभिवृद्धि करती रचना सशक्त है  . बहुत बहुत शुभकामनाये आपको !!

Comment by Sarita Bhatia on July 23, 2013 at 8:25pm

सभी के स्नेह रूपी पुष्प पाकर मन गदगद हो गया ,अपना आशीर्वाद ,स्नेह बनाए रखें ,तह दिल से आभारी हूँ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 23, 2013 at 7:37pm

गुरु शब्दार्थ को साधते हुए सुन्दर रचना के लिए बधाई और गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाए -

श्रद्धा भाव जाग्रत करे, गुरु ज्ञान मिल जाय,
गुरुज्ञान जो मिल गया, सब कुछही मिलजाय |

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 7:09pm

अज्ञानता के तिमिर को दूर भगाने वाले गुरुओं को मेरा भी प्रनाम व सम्मान , इस कविता के लिए हार्दिक बधाई सरिता जी ।

Comment by विजय मिश्र on July 23, 2013 at 12:52pm
समसामयिक और सुंदर भाव . साधुवाद सरिताजी .
Comment by Shyam Narain Verma on July 23, 2013 at 11:16am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.................
Comment by बृजेश नीरज on July 22, 2013 at 11:20pm

आदरणीया सरिता जी आपको भी गुरू पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!
मैं अभी जब ओबीओ पर आया तो इच्छा थी अपने उस गुरू को प्रणाम पुष्प अर्पित करूं जिन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया परन्तु अभी तक उन्हें गुरूदेव कहने का अधिकार मुझे प्राप्त नहीं हुआ। आपकी रचना ने इस अवसर पर उनको प्रणाम कहने का अवसर प्रदान किया।
आपका हार्दिक आभार! अपने साहित्यिक गुरू को इस एकलव्य का प्रणाम!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय निलेश "नूर" जी, आप लाजवाब ग़ज़ल लिखते है। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तमाम आज़ी जी, उम्दा ग़ज़ल है आपकी। बधाई स्वीकार करें। आदरणीय तिलकराज जी के सुझावों से ये और…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल — 221 1221 1221 122 है प्यार अगर मुझसे निभाने के लिए आकुछ और नहीं मुखड़ा दिखाने के लिए…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धामी सर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रिचा जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय इंसान जी अच्छा सुझाव है आपका सहृदय शुक्रिया ग़ज़ल पर नज़र ए करम का"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद  जयपुरी जी सादर नमस्कार जी।   ग़ज़ल के इस बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। वाह वाह बेहद शानदार मतला के साथ  शानदार ग़ज़ल के लिए दिली…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी सादर नमस्कार जी। क्या ही खूबसूरत मतला हुआ है। दिली दाद कुबूल कर जी।आगे के अशआर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service