For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम [नज़्म ]

मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम ।

मुझको जीने न दे बेवफाई का गम ।

बदले दुआ के दगा दे गये ।

मोहब्बत की ऐसी सजा दे गये ।

कोई जाकर उन्हें ये बताये ज़रा ,

क्या माँगा था हमने वो क्या दे गये ।

ये हाल दिल का मै किस से कहूँ ,

कौन समझेगा दिल की दुहाई का गम ।

मेरे टूटे दिल की वफ़ा के लिए ।

इन धडकनों की सदा के लिए ।

तुझको कसम है कि मिलने मुझे ,

बस एक बार आजा खुदा के लिए ।

जिसको मिला है ये जाने वही,

दिल में छुपी तनहाई का गम ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज

Views: 1198

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:41am

बहुत बहुत अनुग्रहीत हूँ
आदरणीय राजेश जी आपकी बधाई से
सादर आभार ........._/\_

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:38am

बहुत बहुत धन्यवाद अरुण भाई

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:31am

आदरणीया प्राची जी आपको बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:29am

धन्यवाद आदरणीया प्रीती जी

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:25am

राजेश भाई बाल बच्चे तो नही हैं मेरे
और जिसका अनुभव ही नही है उसको लिखना
मेरी नज़र में बेईमानी है
वो एक कल्पना से ज्यादा और कुछ नही होगा
। तहे दिल से शुक्रिया

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:18am

शुक्रिया श्याम नारायण जी

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:17am

धन्यवाद कुंती जी

Comment by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 10:17am

आदरणीया कविता जी सही कहा आपने
और आपकी बात मान ने की कोशिश करूँगा
बहुत बहुत धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 3:12pm

जिसको मिला है ये जाने वही,

दिल में छुपी तनहाई का गम

बधाई भाईजी.. .

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2013 at 12:07pm

आदरणीय नीरज मिश्र जी टूटे हुए दिल का दर्द बयां करने की अच्छी कोशिश की है आपने इस नज्म पर बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service