For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वर्ग है फिर आपका क्या काम?

स्वर्ग है फिर आपका क्या काम? 

अमरनाथ गुफा हो, बद्रीनाथ, केदारनाथ, मान सरोवर, आदि प्राकृतिक स्थल की यात्रा हो...हर व्यक्ति लौटकर एक ही जवाब देता है......क्या स्वर्ग है. क्या देव भूमि है ...समझ में नहीं आता जब वो देव भूमि है, स्वर्ग है...तो आप वहां क्यों जा रहे हैं? देवों की पवित्र भूमि पर आप धरतीवासी कदम रखकर उनकी भूमि को अपवित्र क्यों कर रहे हो? क्या वहां जाने वाले सभी शुद्ध मन, विचार के होते हैं? क्या जिंदगी में दो नंबर का धन कमाने वाले भ्रष्ट आचरण के लोग वहां जाने से परहेज करते हैं? क्या आपराधिक, बे-ईमान, छल-कपट से पैसा कमाने या ईर्ष्या, कुटिल व्यवहार रखने वाले लोग वहां जाने से दूर रहते हैं? क्या प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने वाले वहां जाने से नहीं डरते? ऐसे लोगों के नापाक कदम रखने से देव भूमि गन्दला नहीं जाती? तब देवों को गुस्सा नहीं आता? क्या उत्तराखंड की विनाश लीला देवों के प्रकोप का फल नहीं है? क्या अत्यधिक संख्या में बाबा अमरनाथ पहुचकर हम अपने शरीर की गर्मी से शिवलिंग नहीं पिघला रहे हैं? क्या अब हम बाबा अमरनाथ में भगवान् शंकर को फिर नाराज़ कर किसी भूकंप से ज़लज़ले को आमंत्रण नहीं दे रहे हैं? हमें सोचना होगा...देव भूमि को देवों के लिए सुरक्षित रखनी होगी. हमें अपने घर में रखे मंदिर पर विश्वास करना होगा. ज़मीन पर बने मंदिरों पर विश्वास करना होगा, इनमें लगाईं श्रद्धा ही देवों को प्रसन्न कर सकती है.
- दिनेश सोलंकी, पत्रकार, संपादक/प्रकाशक साप्ताहिक प्रिय पाठक
[ अप्रकाशित, मौलिक ]

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on July 9, 2013 at 6:33pm

जाकी रही भावना जैसी .... ये तो अपने-अपने विश्‍वास की बात है । जिन ढूंढा तिन पाईयां ।

Comment by वेदिका on July 9, 2013 at 1:05am

//चिंतन के विषय निम्न है//

चिंतन के विषय मात्र इतने ही तो नही आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी!

लेकिन इनकी सूचि बनाना शुरू करूं तो थक जाउ, लेकिन विषय समाप्त न होगे। इसलिए सूचि बनाने का कोई मुझे तुक नही दिखा। अगर और भी गूढता से देखूं तो मुझे इस सब के बेस में केवल एक ही विषय दिख रहा है और वो है एथिक्स,

     

लेकिन इस हद तक निशब्द हूँ, की ये शब्द जहाँ तक पहुचने चाहिए, वहाँ तक पहुचे तो सार्थकता मिले।

वरना ये बात तो आप भी समझते है और हम भी की जैसे ही सब कुछ सामान्य होगा, फिर से फिर से उसके असामान्य होने की कोशिशे शुरू कर दी जाती है. लेकिन इनका जिम्मे दार कोई एक भी तो नही, और सच तो ये है की केवल शब्द बोल बोल कर कुछ नही हासिल होने वाला। जब कुछ कर देने की शुरुआत न हो तब तक,,, और फिर वही शब्दिकता,, उफ़ …।        

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 8, 2013 at 1:26pm

"चिंतन का विषय तो है"- गीतिका वेदिका जी 

चिंतन के विषय निम्न है - १. क्या पापी लोग अपने की पापी नहीं मानते या पापी लोग पाप धोने जाते है ?

                                  २. काली कमाई का कुछ हिस्सा इस निमित्त खर्च करते है ?

                                  ३   एक कवी ने लिखा है _ मानव ने भगवान् को पत्थर की मूर्ति बना डाला,

                                                                    भगवान् ने मन्दिर को शमशान बना दिया (जहां श्रद्धा में फूल चढाते है}

                                   ४, मेरे विचार से ये गाना - मेरे मन मंदिर को भगवान् बना मंदिर आलिशान - सर्व श्रेष्ठ है | जब आत्मा

                                        में परमात्मा का वास है, घर में लक्ष्मी का वास है, तो घर का मंदिर श्रेष्ठ है | 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 8, 2013 at 9:44am
आदरणीय..दिनेश जी, आपने तीर्थ स्थानों पर जाने वाले कपटी, झूठे, पाखंडी लोगो की तो बिल्कुल सही बात कही है, कुछ लोग तो ऐसे जाते है जैसे वहाँ जाकर सारी मन्नते माँग लाएगें! और अपने या अपनों से जुड़ी समस्याओं के निपटारे के लिए उनके पास वक्त नही होता! "आदरणीय..दिनेश जी, एक बहुत ही उचित विषय पर आपकी रचना प्रस्तुति पर, हार्दिक बधाई...
Comment by dinesh solanki on July 8, 2013 at 6:10am

धन्यवाद गीतिका  जी  

Comment by वेदिका on July 8, 2013 at 4:28am

चिंतन का विषय तो है! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service