For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रिश्ता.... 

ख्वाब नहीं है 

ये मेरा ख्याल नहीं है 

ये तेरा सवाल नहीं है 

रिश्ता ..... 

किसी  के लिए चाँद है 

किसी के लिए ख्वाब है 

तो किसी के लिए कसक है 

किसी के लिए महक है 

रिश्ता .... 

बहता पानी है 

मानो तो अमृत है 

न मानो तो बहता पानी है 

रिश्ता .... 

रेत है 

जितना पकड़ो 

सरकता जाता है 

रिश्ता तो रिसता है 

रिश्ता ..... 

खून का हो 

या हो तेरा, या हो मेरा 

रिश्ता तो रिसता है .... 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on June 30, 2013 at 1:52am

 

सच ही तो ऐसे रिश्तो को औपचारिक के धागे से बांध के रखने की क्या जरुरत जो, कठिन समय में साथ देने के बजाये दूर चले जाये अपने व्यवसाय को तरक्की देने के लिए :((((((

रिश्ते अगर जबरदस्ती रखे जाये तो तार तार हो कर बिखरते है ,, बेहतर है की झूठ की गिरह खोल दी जाये 

 

आपकी रचना ने मर्म पर चोट की और रचना बांचते समय अपना प्रभाव रखा 

बहुत अच्छी काव्य रचना के लिए बधाई स्वीकारे! 

Comment by coontee mukerji on June 29, 2013 at 6:22pm

रिश्ता ..... 

किसी  के लिए चाँद है 

किसी के लिए ख्वाब है 

तो किसी के लिए कसक है 

किसी के लिए महक है 

रिश्ता .... 

बहता पानी है 

मानो तो अमृत है 

न मानो तो बहता पानी है.....रिश्ते का क्या अनोखा बयाँ है.

Comment by विजय मिश्र on June 29, 2013 at 5:35pm
रिसते-टीसते रिश्तों को रिश्ते का नाम न दें तो श्रेयष्कर .रिश्ते हृदय से बनें और इसी स्तर पर इसका निर्वाह हो तो सार्थक है अमोदजी .काव्यात्मकता में कहीं दोष नहीं . बधाई हो .
Comment by Shyam Narain Verma on June 29, 2013 at 4:19pm

बहुत ही सुंदर व मर्मस्पर्शी रचना....................

Comment by Ramkumar Nema on June 29, 2013 at 1:37pm

आदरणीय..अमोद जी,


आपने  रिश्तो के जो मायने बताये है "
हम भी रिश्तो से ही दामन को सजाए है ||

बहुत सुन्दर रचना.. बधाई 

Comment by बसंत नेमा on June 29, 2013 at 11:18am

बहुत सुन्दर रचना.. बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 29, 2013 at 10:59am
सुंदर व भावनाओ से ओत प्रोत रचना के लिऐ शुभकामनाऐ आदरणीय..अमोद जी, "रिश्ता ....

रेत है

जितनापकड़ो

सरकताजाताहै

रिश्ता तो रिसता है

रिश्ता .....

खूनकाहो

याहोतेरा,याहोमेरा

रिश्ता तो रिसता है ...."

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
3 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service