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वो पिता होता है : सरिता भाटिया

दो छोटी रचनाएँ पिता को समर्पित                      

                      1.

थाम ऊँगली जो चलाये वो पिता होता है
प्यार छुपा जो डांट से समझाए वो पिता होता है
कंधे बिठा सारी दुनिया घुमाये वो पिता होता है
मोक्षद्वार हमारे ही कन्धों पर जाए वो पिता होता है

                                  2.

बच्चों की आँखों में अपने सपने सजाये
थाम ऊँगली जो चलाये वो पिता होता है
मील पत्थर बन सच्ची राह जो दिखाए
जोहरी बन भविष्य तराशे वो पिता होता है

(मौलिक व अप्रकाशित) 

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Comment by aman kumar on June 10, 2013 at 3:54pm

बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ..

Comment by Abid ali mansoori on June 10, 2013 at 12:39pm
आदरणीया सरिता जी सुन्दर अभिव्यक्ति!
Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 12:13pm

sunder rachna

Comment by Shyam Narain Verma on June 10, 2013 at 11:36am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

कृपया ध्यान दे...

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