For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आये थे लेकर के हम भी आँख मे नक्शे किसी के ॥

क्या कहा सुनसान हवा कह रही किस्से किसी के 

ये भी लगता पड़ गयी मेरे जैसे हिस्से किसी के 

एक तरफ तो आग है और एक तरफ ये खाई है 

आये थे लेकर के हम भी आँख मे नक्शे किसी के ॥ 

Views: 557

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 8, 2013 at 9:48pm

आदरणीय योगेन्द्र जी सुन्दर भावपूर्ण रचना हुई है किन्तु मात्र दो शेर तो उचित नहीं है कमसे कम पांच तो अवश्य ही होना चाहिए.सादर.

Comment by वीनस केसरी on June 4, 2013 at 9:24pm

आये थे लेकर के हम भी आँख मे नक्शे किसी के ॥ 

क्या कहने भाई 
बहुत खूब 

Comment by बृजेश नीरज on June 3, 2013 at 10:15pm

आदरणीय योगेन्द्र भाई आपकी तरह मैं भी छोटा ही हूं अभी यहां। आप सबके साथ ही मैं भी सीख रहा हूं। हम सब साथ ही बड़े होंगे।
मुझे कुछ दिक्कत लगी उसे आपको इंगित किया। आपने मेरे कहे को मान दिया इसके लिए आपका आभार!

Comment by Yogendra Singh on June 3, 2013 at 10:10pm

बृजेश जी छोटे बच्चे जब चलना शुरू करतें हैं तो लड़खड़ाते ही हैं । इसीलिए ऐसा हुआ है आगे से मैं कोशिश करूंगा की आपकी उम्मीदों पे खरा उतरूँ ॥ इस परिवार का सबसे छोटा और नादान, लड़खड़ाते हुए कदमों वाला और तुतलाती हुई ज़बान वाला समझ कर माफ करने की कृपा करें ।  आपके विचार मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्यूंकी इनहि से मुझे प्रेरणा और बहुत कुछ सीखने को मिलता है ॥ 

बहुत बहुत धन्यवाद बृजेश जी॥ 

Comment by Yogendra Singh on June 3, 2013 at 10:06pm

लक्ष्मण जी बहुत बहुत शुक्रिया  

Comment by Yogendra Singh on June 3, 2013 at 10:06pm

अन्नपूर्णा जी धारों धन्यवाद आपको...

Comment by Yogendra Singh on June 3, 2013 at 10:06pm

bahut bahut shukriya kunti ji...

Comment by coontee mukerji on June 3, 2013 at 1:45am

बस इतना ही......कम से कम नक्शा तो दिखा ही जाते .......योगेंद्र जी.

Comment by annapurna bajpai on June 3, 2013 at 1:28am

बढ़िया मुक्तक बहुत बधाई ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 2, 2013 at 10:29am

अच्छा मुक्तक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
4 hours ago
Admin posted discussions
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
18 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service