For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छत्तीस बरस की गुलाबी चुनरिया (शादी की छत्तीस्वी साल गिरह )ओ बी ओ पर १ ० ० वीं पोस्ट

                                          (फूलों से दिन का शुभारम्भ) 

फिर लहराई 

सुभागी ,गुलाबी 

गोटेदार चुनरिया 

जिसका सितारों भरा आसमाँ 

प्रत्यक्षदर्शी है उन 

अविस्मरणीय लम्हों का 

जिसकी एक छोर से 

किया गया था गठबंधन 

प्रियतम की पीली चादर 

की छोर से,

उस छोर की सिलवटें 

जस की तस 

आज भी उन पलों को जीती हैं 

एक सितारा भी नहीं गिरने दिया 

इस अम्बर से मैंने 

क्योंकि मैं जानती हूँ 

आपने अपना आशीर्वाद भी  टाँक रखा है 

हर सितारे के साथ में

कितने मौसम बदले

रुत बदली 

किन्तु इसकी आभा में 

कोई भी तो कमी नहीं आई 

वही कोमलता 

वही मखमली एहसास हुआ 

जब आज फिर स्पर्श किया 

आज छत्तीस वर्ष की हो गई है 

ये चुनरिया ,मम्मी पापा 

आपको याद है ना !!!

******************

 

(मौलिक व अप्रकशित)

Views: 2026

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 11:41am

एक सितारा भी नहीं गिरने दिया 

इस अम्बर से मैंने 

क्योंकि मैं जानती हूँ 

आपने अपना आशीर्वाद भी  टाँक रखा है 

आदरणीया राजेश कुमारी जी 

सादर 

सदा सौभाग्यवती रहें. शब्दों के  परे से हार्दिक शुभ कामनाएं.

साथ ही एक शतक की भी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2013 at 11:17am

आदरणीय सौरभ जी  आप की शुभकामनाएं सर आँखों पर ,बिना मम्मी पापा के आशीर्वाद के तो जीवन में कुछ भी नहीं वो आज जहां भी हैं वहीँ से उनका आशीर्वाद मिल रहा है। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 3, 2013 at 10:53am

सबसे पहले, आदरणीया, आपको हृदय से शुभकामनाएँ--   अटल रहे अहिवात तुम्हारा, जब लगि गंग-जमुन जलधारा.. . .

इस मुबारक मौके पर आपने इतनी हृदयस्पर्शी चर्चा की है कि मन भर आया है.

सही है,  एक बेटी के लिए माँ-पापा की संज्ञा मात्र वही नहीं होती जो अन्य के लिए होती है. 

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2013 at 10:42am

आदरणीय लक्ष्मण जी आप की शुभकामनाएं सर आँखों पर |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 3, 2013 at 10:41am

बना रहे ये गठबंधन, जिए हजारो साल, साल के दिन हो एक हजार, हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाए आप दोनों

को ही, आदरणीया राजेश कुमारी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service