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भाई मनोज जी सादर बहुत सुन्दर व्यंगात्मक रचना मगर इसमे तो सभी प्रत्याशी हारे ही हैं फिर जीता कौन? हा हा हा सुन्दर कृति के लिए बधाई स्वीकारें.
आदर्णीय...श्री. लक्षमीप्रसाद जी..आपका सादर आभार
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आदर्णीय... श्री.कुशवाहा जी ..सादर आभार...आपसे निवेदन आप मेरे नाम के आगेआदर्णीय न लगायें मै आपसे बहुत छोटा हूँ
चुनाव का खाका दिया खींच
वाह भई वाह
सादर बधाई, आदरणीय मनोज जी
चुनावों की सरगर्मी प्रारम्भ होते ही जैसा माहोल बनता है, जैसे वादे किये जाते है, लाउडस्पीकर का शोरगुल सुनाई देते है
उनका बखूबी वर्णन किया है आपने अपने हास्य व्यंग में, बधाई श्री मनोज शुक्ला जी
वाह- वाह मनोज जी क्या जम कर खिंचाई की वोट मांगने वालों की और चुनाव के दौरान उपस्थित हुए हालात की ,बाकी त्रुटी तो प्राची जी बता चुकी हैं एक जो मेरे नोटिस में आई वो --आप बाग की जगह बाँग कर लीजिये (मुर्गा बाँग देता है) बहुत- बहुत बधाई इस सटीक कटाक्ष भरी प्रस्तुति पर |
जय हो.. . बहुत बहुत बधाई.. .
सुझावों पर ध्यान दें, भाईजी.
शुभेच्छाएँ
श्रीमान चौखट
निर्दलिय से.........................निर्दलीय से
पिछली बार
बाजार वाला......................बाजार वाली
तो
अबकी गाँव के...........................गाँव की
जमीन बिकेंगे.......................ज़मीन बेचेंगे
पहले की तरह
इस बार भी
धूम मचेगा...................................धूम मचेगी
मुझे यह कुछ बदलाव अपेक्षित थे.... शायद आप भी सहमत होंगे.
सादर.
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