For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बनारस में एक नयी पहल " सुखनवर "

वैसे तो ग़ज़ल का अपना स्वर्णिम इतिहास रहा है , परन्तु आज हिंदी जनमानस में भी ग़ज़लों ने अपनी गहरी पैठ बना ली है । ग़ालिब , मीर , फैज़ , दाग जैसे नाम आज ग़ज़ल को पसंद करने वाले के लिए अनजाने नहीं । साहित्य में भी ग़ज़लों ने नए पुराने लेखकों को अपनी और आकर्षित किया है । आज समकालीन ग़ज़ल लेखन में एक उर्जावान पीढी सक्रिय है । बनारस में नजीर बनारसी हुए तो जयशंकर प्रसाद ने भी ग़ज़ल लिखी । आज भी उर्दू हिंदी शायरों की एक पूरी जमात काशी में ग़ज़ल की परंपरा को आगे बढ़ा रही है । 

सांस्कृतिक संस्थाओं  ' सेतु ' एवं ' नवरंग ' ने इस वर्ष एक नयी पहल की है । बनारस के नए पुराने जाने पहचाने हिंदी उर्दू शायरों को एक मंच पर लाने का । इस प्रयास ने जो आकार लिया है वह है ' सुखनवर ' यह एक मासिक नशिस्त यानी गोष्ठी है जिसमें हर एक शायर को प्रत्येक माह नियत दिन व् समय एक नयी ग़ज़ल का पाठ करना होता  है । इस प्रकार एक वर्ष में काशी में सक्रिय बीस पच्चीस शायरों के कुल बारह कलाम एकत्र होंगे ।' नवरंग ' एवं साहित्य भारती प्रकाशन वाराणसी  के श्री राजेंद्र प्रसाद बेरी ने चौदह अप्रैल 2013 को स्थानीय पराड़कर भवन में आयोजित ' सुखनवर की तीसरी नशिस्त में बताया कि एक वर्ष के दौरान चयनित सभी ग़ज़लों का एक संग्रह सभी शायरों के परिचय के साथ प्रकाशित किया जाएगा और इसे राष्ट्रीय फलक पर प्रचारित प्रसारित किया जाएगा । यह एक प्रकार से समकालीन ग़ज़ल का आइना होगा । 
                    सञ्चालन करते हुए 'सेतु ' के श्री सलीम राजा ने इस महत्वपूर्ण कार्य में सभी कलमकारों से सहयोग और सक्रियता की अपेक्षा की । सुखनवर की तीसरी गोष्ठी की अध्यक्षता प्रख्यात शायर जनाब मेयार सनेही ने की । श्री नरोत्तम शिल्पी एवं नसरुल्लाह नसीर विशिष्ट शायर के रूप में उपस्थित थे । इस मौके पर समर गाजीपुरी , निजाम बनारसी , रोशन मुगलसरायी , शमीम अहमद शमीम , अभिनव अरुण , धर्मेन्द्र गुप्त साहिल , कुंवर सिंह कुंवर आदि शायरों ने अपने कलाम पेश किये । रवायती ग़ज़लों के अलावा प्रगतिवादी ग़ज़लो का पढ़ा और सराहा जाना ' सुखनवर की विशेषता रही । 
                     सुखनवर की इस महाना नशिस्त में श्री विनय कपूर गाफिल , जवाहर लाल कौल , मोहम्मद अजफर अली  जैसे अनेक शायर शिरकत कर चुके हैं । चौदह अप्रैल को हुई नशिस्त में निर्णायक के रूप में उपस्थित लोकप्रिय मंच उदघोषिका व् कवयित्री प्रतिमा सिन्हा ने तीन श्रेष्ठ ग़ज़लकारों को सम्मानित करने की घोषणा की । मकबूल और उस्ताद  शायर जनाब मेयार सनेही ने प्रगतिवादी ग़ज़लकार अभिनव अरुण ,शमीम अहमद शमीम  और नईम अख्तर जुर्रत को पुरस्कृत किया । प्रतिमा सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि एक शेर में गहरी और सटीक बात कह देना ही ग़ज़ल और शायर दोनों की सफलता है । उन्होंने आशा व्यक्त कि की सेतु और नवरंग का यह प्रयास काशी के साहित्यिक परिदृश्य में मील का पत्थर साबित होगा । श्री मेयार सनेही ने उपस्थित सभी शायरों और उनके कलाम की तारीफ़ की और मार्गदर्शन किया । अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए सेतु के ख्याति प्राप्त रंगकर्मी व् रचनाकार श्री सलीम राजा ने उम्मीद जताई कि समकालीन ग़ज़ल के सशक्त हस्ताक्षर '' सुखनवर '' में अपने कलाम से इन्द्रधनुषी रंग भरेंगे और यह एक सम्पूर्ण व् समग्र प्रयास होगा । 
               ** चित्र में अपनी ग़ज़ल सुनाते प्रगतिवादी प्रखर शायर अभिनव अरुण  व् डायस पर श्री  सलीम राजा एवं श्री राजेंद्र प्रसाद बेरी |

Views: 1096

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:41am

श्री योगी जी आपकी बधाई के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री !!

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:41am

आदरणीय श्री वीनस जी आप कुछ कुछ गुण दान करते रहे , यही अभिलाषा है , बधाई के योग्य नहीं हूँ अभी !!

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:39am

मेरी रपट पर आपने दो शब्द लिखकर मेरा मान बढाया है आदरणीया  Dr.Prachi Singh जी मैं श्रद्धानत हूँ !!! एक अकिंचन शब्दजीवी अपनी साधना में निपट अकेला ही होता है , प्रत्येक प्रकार की समालोचना उसके लिए खाद पानी समान है !!! स्नेह व् कृपा दृष्टि बनी रहे !!

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:37am

बहु धन्यवाद आदरणीया  vijayashree जी !

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:36am

 बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) जी आपकी सराहना मेरा संबल है सादर आभार !!

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:35am

श्री संदीप जी बहुत आभार आपका !!

Comment by Yogi Saraswat on April 17, 2013 at 12:02pm

हिंदी साहित्य के लिए बेहतर प्रयास है ये ! बधाई

Comment by वीनस केसरी on April 17, 2013 at 1:49am

अरुण जी इस सम्मान हेतु हार्दिक बधाई ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 7:32pm

नए पुराने हिन्दी और उर्दू शायरों को एक मंच पर लाने की कोशिश 'सुखनवर' बहुत बढिया कदम है..और हर माह नयी गज़ल के पाठन और वर्षांत में संकलन का विचार भी गज़लकारों के लिए उत्साहवर्धक साबित होगा.. गज़लगोई के लिए आपको सामान मिलना बहुत हर्ष की बात है.. हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ० अरुण अभिनव जी 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 16, 2013 at 7:10pm

आदरणीय अभिनव जी इस सम्मान हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service